भारत के अजीबो-गरीब रीति-रिवाज जिनके बारे में जानकर चौंक जायेंगे आप

भारत अपनी संस्कृति और विचारों के लिए तो पूरे विश्व में जाना जाता है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी की भारत देश संस्कृति के साथ-साथ विविधताओं से भी भरा हुआ है। इस देश में हर धर्म और जाति के लोग रहते हैं। और हर जाति में कुछ अलग-अलग तरह की परम्पराएँ होती हैं। जो काफ़ी लंबे समय से चली आ रही हैं। अगर रीति रिवाज के बारे में बात करें। तो भारत मे आज भी लोग अंधविश्वास जैसी बातों पर विश्वास करते हैं। चाह कर भी लोग ऐसी बातों से दूरी नही बना पाते। वैसे तो दुनिया में बहुत से ऐसे देश हैं जो अजीब रीति रिवाजों के कारण जाने जाते हैं। लेकिन आज हम आपको अपने देश की कुछ ऐसी परम्पराओं के बारे में बताएंगे जिसे पढ़कर आप भी चकित या हैरान रह जाएंगे जो की देश में बरसों से लेकर आज तक चली आ रही हैं।

यहाँ लड़की की लड़की से होती है शादी
आपने आज तक यही देखा और सुना होगा की लड़का या दूल्हा लड़की के घर बारात लेकर जाता है और ढ़ेर सारी रस्में निभाई जाती हैं। लड़की दुल्हन बनकर लड़के के घर आती है और हंसी-खुशी शादी सम्पन हो जाती है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि गुजरात के आदिवासी बाहुल्य गांव की शादियों में दूल्हा नहीं होता। कोई लड़का बारात लेके नही जाता। गुजरात के छोटा उदयपुर जिले में बिना किसी विरोध और परेशानी के बड़े ही धूम-धाम से दुल्हन की शादी लड़के से नहीं बल्कि लड़की से की जाती है। वहाँ दुल्हन को लाने के लिए दूल्हा नहीं जाता बल्कि वो तो अपने घर में रहकर दुल्हन का इंतजार करता है। और हैरान करने वाली बात यह भी है कि अगर लड़का घोड़ी चढ़कर मंडप में जाए तो अशुभ माना जाता है और शादीशुदा जीवन असफल माना जाता है। ऐसा माना जाता है की जो घोड़ी चढ़कर मंडप में आता है उनका वंश कभी आगे नही बढ़ता। खास बात यह है की दूल्हे की जगह दूल्हे की कंवारी बहन घोड़ी चढ़ती है और वही बारात लेकर दुल्हन के घर जाती है। दूल्हे को दुल्हन सौंपने के बाद बहन का काम खत्म हो जाता है। ससुराल में आने के बाद दूल्हा और दुल्हन को पूरे रीति-रिवाज से दोबारा शादी करनी होती है। और शादी वाली सारी रस्में दोबारा कराई जाती है। साथ ही दोनों की वरमाला भी होती है। कहा जाता है, कि शादी के लिए दूल्हे की बहन का कंवारा होना जरूरी है। अगर दूल्हे की कोई बहन नहीं है तो चचेरी, ममेरी बहन ये रस्में निभाती हैं।

आग पर चलना
आपने फिल्मो में प्यार में आग पर चलने वाला दृश्य कई बार देखा होगा। जिसमें प्रेमी या प्रेमिका अपने प्यार की परीक्षा देने के लिए आग पर चलते हैं। लेकिन यह दृश्य केवल फिल्मों में ही अच्छा लगता है। असल जिंदगी में कोई भी इस तरह की हरकत नही करेगा। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी की भारत के एक राज्य तमिलनाडु में आग पर चलना रिवाज है। इस राज्य में लोग अंगारों पर चलते हैं। यह एक उत्सव की तरह तमिलनाडु में मनाया जाता है। यह उत्सव बहुत ही जोरों-शोरों से मनाया जाता है। जिसके लिए कई दिन पहले से लोगों को कई तैयारियां करनी पड़ती हैं।

डंडों से पिटाई वाला उत्सव
आंध्र प्रदेश अपनी रोचक चीज़ो के लिए बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है। यहाँ के देवरागट्टू मंदिर में बानी नाम का एक उत्सव मनाया जाता है। इस उत्सव में लोग एक-दूसरे को डंडों से पीटते हैं। इस दर्दनाक उत्सव में कई लोगों की जान भी चली जाती है। फिर भी यहाँ के लोग हर साल इस उत्सव को बहुत ही धूम-धाम से मनाते हैं।

गायों के नीचे लेटना
भारत मे दीवाली का त्योहार बहुत जोरो-शोरो से मनाया जाता है। साथ ही भारत का दिल मध्य प्रदेश में दिवाली के बाद दुसरे दिन गोवर्धन पूजा पर यहाँ के स्थानीय लोग एक विशेष प्रथा का आयोजन करते हैं। इस प्रथा में लोग अपनी मन की मुराद पूरी करने के लिए दौड़ती हुई गायों और बैलों के नीचे लेटते हैं। वहाँ के लोगों का मानना है कि इस प्रथा से गौमाता उनको आशीर्वाद देती हैं। जिस से उनके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। इस रिवाज में गायों के तले दबकर कई लोग गंभीर रूप से जख्मी भी हो जाते हैं। लेकिन तब भी  वो लोग आशीर्वाद समझकर इस प्रथा को खुशी से पूरा करते हैं। मध्यप्रदेश में इस प्रथा को कई सालों से निभाया जा रहा है। साथ ही हज़ारों श्रद्धालु इस प्रथा को देखने के लिए इस मेले में इकट्ठे होते हैं।

सुईयों से शरीर छेदना
इसके नाम से ही पता लग रहा है कि यह प्रथा काफी दर्दनाक है। तमिलनाडु जिले में भगवान मुरगन के प्रति भक्ति के लिए ये दर्दनाक उत्सव मनाया जाता है। इस प्रथा में लोगों के शरीर में सुईयों से छेद किया जाता है। जो की लोगों के शरीर के लिए काफी कठिन और दर्दनाक होता है। सुईयों के अलावा लोगों के शरीर में सलाखों से छेद किया जाता है। लोगों की ऐसी मान्यता है की ऐसा करने से उनकी सारी परेशानियां और कष्ट दूर हो जाएंगे। और भगवान मुरगन भी उनसे प्रशन्न हो जाएंगे हैं और हमेशा अपना आशीर्वाद उन लोगों पर बनाए रखेंगे।