मैसूर की इन खूबसूरत जगहों पर एकबार तो जाना बनता है

मैसूर भारत के कर्नाटक राज्य के दक्षिणी भाग का एक शहर है। मैसूर पैलेस की वास्तुकला व इतिहास में इसे अंबा विलास महल भी कहते हैं। ये मैसूर शहर में एक ऐतिहासिक महल है। स्‍वतंत्रता होने तक यह मैसूर के पूर्व महाराजा वोडेयार की राजधानी हुआ करता था। बैंगलोर से 140 किलो मीटर की दूरी पर मैसूर  अपने बड़े महलों, सुंदर उद्यानों और सांस्‍कृतिक कार्यों के लिए काफी फेमस माना जाता है। मैसूर के राजा ने छह शताब्दियों तक मैसूर में राजा रूप में कार्य किया था। 

अंबा विलास महल- इस महल को अंबा विलास महल के नाम से भी जाना जाता है। मैसूर महल को कृष्णराजा वाडियार  ने 1897 ई० में बनवाया था। उस समय इसे चंदन की लकड़ियों से बनवाया गया था, पर एक दुर्घटना में यह टूट गया था जिसकी वजह से इसे दुबारा से बनवाया था।  कृष्णराजा वाडियार चतुर्थ के बाद उनकी माँ कम्पानन जमन्नी देवी ने ब्रिटिश के वास्तुकार हेनरी इर्विन को दूसरा मैसूर महल बनाने की जिम्मेदारी दी थी जिसमें दूसरा महल 1912 में बनाया गया था। 

मैसूर महल की वस्तु कला- मैसूर महल में रोमन तथा द्रविड़ की कला देखने को मिलती है। इस महल के ऊपरी हिस्से में गुलाबी रंग के स्लेटी पत्थरों की कलाकृति दिखाई देती है। महल के अंदर एक गुफा है जो सोने के पत्थरों से सजी हुई रहती है। सुबह सूरज की रोशनी पढ़ते ही ये पत्थर अंदर से चमक मारने लगते है। उस समय यह महल देखने में अत्यंत खूबसूरत लगता है। 19वीं और 20 वी सदी में इस महल में डॉल का संग्रह हुआ करता था। 

महल का कुल खर्चा- उस समय इस महल को बनाने में 41.47 लाख रुपए खर्च हुए थे। मैसूर महल 245 फीट लंबा और 156 फीट चौड़ा है। इसके अंदर  बनी हुई सोने की जमीन से 145 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस महल के अंदर  कुल 97000 बल्ब लगे हुए हैं। जो अंदर में बहुत ही अच्छे लगते है जिसे देखने के लिए लोग दूर- दूर से आते हैं। 

महल के अंदर का नज़ारा- मैसूर महल के अंदर एक विशाल कक्ष है जिसे देखने पर ऐसा लगता है कि यहां पर बड़ी मात्रा में लोग इकट्ठा हो सकते है। इस कक्ष में बहुत से स्तंभ (खंबे) थोड़ी दूर में दिखते है। इस कक्ष की दीवारों पर अनेक चित्र लगे लगे हुए हैं। इस महल की दीवारों पर राजाओं के बारे में और उनके द्वारा किये हुए कामों के चित्र बने हुए है।