उत्तर प्रदेश के इस शहर से शुरू हुई थी होलिका दहन की प्रथा, जानें इसके बारे में

उत्तर प्रदेश अपनी संस्कृति और समृद्ध इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। उत्तर प्रदेश का हरदोई शहर भले ही ज्यादा प्रसिद्ध ना हो लेकिन इसके नाम के पीछे कई धार्मिक पहलू जुड़े हुए हैं। आज के इस लेख में हम आपको हरदोई शहर के बारे में कुछ दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं -  
 
हरदोई शहर का संबंध हिरण्यकश्यप और होलिका धन से माना जाता है। इस शहर का प्राचीन नाम हरि-द्रोही था, यानी भगवान विष्णु से द्रोह करने वाला नगर।  इस शहर के नाम के पीछे कई धार्मिक कहानियाँ और किवदंतियां जुड़ी हैं। एक प्रचलित कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप हरदोई का राजा था। हिरण्याकश्यप को ब्रह्मा जी से आशीर्वाद प्राप्त हुआ था कि उसकी मृत्यु ना तो सुबह होगी ना शाम को। ना उसे कोई जानवर मार सकेगा और ना ही मनुष्य। इसके साथ ही उसे यह भी वरदान दिया था कि उसकी मौत ना तो आकाश में होगी और ना ही धरती पर। ऐसे में हिरण्याकश्यप ने खुद को ब्रह्माण्ड का एकमात्र देवता मान लिया था। ब्रह्मा जी से वरदान मिलने के बाद वह अहंकार में इतना चूर हो गया था कि उसने अपने राज्य में भगवान की पूजा पर रोक लगा दी थी। लेकिन उसका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परमभक्त था।

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार हिरण्यकश्यप की दूसरी पत्नी का जन्म स्थान हरदोई था। इनसे से ही प्रहलाद का जन्म हुआ था। प्रहलाद की माता भी भगवान विष्णुभक्त की अनन्य भक्त थीं। लेकिन यह सब हिरण्यकश्यप को गवारा ना था। सा माना जाता है कि हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु से इतनी नफरत करता था कि उसने अपने नगर का नाम हरि-द्रोही घोषित कर दिया था। प्रहलाद दिन-रात हरि नाम जपता था और अपने पिता को भी प्रभु हरि का नाम लेने को कहता था। इस वजह से हिरण्यकश्यप अपनी पत्नी और पुत्र से क्रोधित रहता था और उसने अपने बेटे और पत्नी पर कई जुर्म किए। उसने यहाँ तक की प्रहलाद को मार डालने के कई प्रयास भी किए। लेकिन प्रहलाद हर बार प्रभु की कृपा से बच जाता था। ऐ प्रहलाद की हरि भक्ति और प्रभु प्रेम को देखते हुए भगवान विष्णु ने प्रहलाद को दर्शन भी दिए थे।

जब अनेक कोशिशों के बाद भी प्रहलाद हर बार बच जाता था तो हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने की एक साजिश रची।उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रहलाद को अपनी गोद में बैठाकर अग्नि में बैठ जाए। होलिका के पास एक ऐसी दुशाला थी जिसे ओढ़ने पर उसके ऊपर अग्नि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता था। इस तरह से दुशाला के प्रभाव से होलिका को कुछ नहीं होगा लेकिन प्रहलाद जलकर मर जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जब होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठी तो तेज़ हवा चलने लगती है और उसका दुशाला उड़ जाता है। इसके कारण होलिका भस्म हो जाती है, लेकिन भगवान विष्णु के आशीर्वाद से प्रहलाद एक बार फिर बच जाता है। अपने प्रिय भक्त प्रहलाद पर हो रहे अत्याचार भगवान विष्णु से देखे ना गए और उन्होंने क्रोध में आकर नरसिंह का अवतार धारण कर हिरण्यकश्यप की हत्या कर डाली। बाद में इस शहर का नाम हरिद्रोही से हटाकर हरदोई कर दिया गया।

हरदोई शहर उत्तर प्रदेश की एक धार्मिक नगरी हैं। यहाँ अनेकों देवी-देवताओं के मंदिर हैं। हरदोई में माँ कालीजी का मंदिर और श्री बाबा मंदिर बहुत प्रसिद्ध मंदिर हैं। इसके अलावा यहाँ एक बहुत बड़ा और प्रसिद्ध साईं बाबा का मंदिर भी है, जहां सुबह-शाम भक्तों की लंबी कतार लगती है। हरदोई में अब भी प्रहलाद कुंड बना हुआ है। इसके साथ ही नरसिंह भगवान का मंदिर भी है। कुछ वर्ष पहले तक मंदिर से कुछ ही दूरी पर एक प्राचीन टीला मौजूद है जिसे हिरण्याकश्यप के महल का खंडित भाग माना जाता है। लेकिन अब यह अपना अस्तित्व खो चुका है।