देश की सबसे डरावनी जगहों में शामिल है अग्रसेन की बावड़ी, अभी तक अनसुलझा है इसका रहस्य

देश की राजधानी दिल्ली अपने समृद्ध इतिहास, पर्यटक स्थलों और खाने के लिए जानी जाती है। दिल्ली में कई ऐतिहासिक स्मारक भी हैं जो अपने अंदर कई रहस्य समेटे हुए हैं। इन्हीं में से एक है दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्थित अग्रसेन की बावड़ी। यह बावड़ी शहर की भागदौड़ भरी ज़िंदगी, गाड़ियों के शोर और भीड़-भाड़ के बीच कई सालों से तमाम रहस्यों को समेटे हुए है। आज के इस लेख में हम आपको अग्रसेन की बावड़ी से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताने जा रहे हैं -
 
अग्रसेन की बावड़ी नई दिल्ली के कनॉट प्लेस के पास स्थित एक सीढीनुमा कुआँ है। यह करीब 60 मीटर लंबा और 15 मीटर चौड़ा है और इसमें 105 सीढ़ियां है। इस जगह की देखरेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा की जाती है। इस बावड़ी के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इसका निर्माण महाभारत काल में करवाया गया था। ऐसा माना जाता है कि इस बावड़ी का निर्माण 14वीं शताब्दी में शौर्य वंश के महाराजा अग्रसेन ने करवाया था। हालाँकि, इस बारे में कोई ऐतिहासिक तथ्य मौजूद नहीं है। बाद में अग्रवाल समाज ने इस बावड़ी का पुनःनिर्माण करवाया था।

देश की सबसे रहस्य्मयी और डरावनी जगहों में अग्रसेन की बावड़ी का नाम भी शामिल है। इस बावड़ी की ऊपर की दीवारें लाल बलुए पत्थरों से बनी है जिसके कारण यह बेहद सुंदर लगती है। लेकिन जैसे-जैसे हम इसकी सीढ़ियों से नीचे उतरते हैं, एक अजीब सी गहरी चुप्पी फैलने लगती और आकाश गायब होने लगता है। इस बावड़ी के तमाम ऐसे अनसुलझे रहस्य हैं, जो आज तक राज ही हैं। हालांकि, अब तो लोग यहां के शांत वातावरण में किताबें पढ़ने के लिए भी आते हैं। कई लोग इसकी खूबसूरती के कारण भी यहां खींचे चले आते हैं।

अग्रसेन की बावड़ी के बारे में कहा जाता है कि पुराने समय में इस बावड़ी का निर्माण पानी बचाने के लिए किया गया था। एक समय में दिल्ली और पुरानी दिल्ली के लोग यहां तैराकी सीखने के लिए आते थे। एक समय में इस बावड़ी में काला पानी भर गया था। इसके बारे में कहा जाता है कि यह जादुई काला पानी यहाँ आने वाले लोगों को अपनी तरफ सम्मोहित कर आत्महत्या के लिए उक्साता था। हालांकि, आज के समय में यह कुआँ पूरी तरह से सूख गया है और केवल बरसात के समय यहाँ पानी भरा रहता है।

पर्यटकों और प्रेमी जोड़ों के बीच यह जगह खूब लोकप्रिय है। इस बावड़ी के बारे में कई लोगों का यह कहना भी है कि यहाँ बुरी आत्माएं वास करती हैं। यहाँ आए कई लोगों के मुताबिक उन्होंने यहाँ कुछ अजीब सी उपस्थिति या परछाई के होने का एहसास किया है। यहाँ पर 'झूम बराबर झूम', 'पीके' जैसी बड़ी फिल्मों की शूटिंग भी हुई थी।