ऐतिहासिक इमारतों से परिपूर्ण मध्यप्रदेश का प्रमुख शहर ग्वालियर, एक बार जरूर जाएं

भारत के हर राज्य एक अलग अनोखे कला से परिपूर्ण है। पर्यटन की दृष्टि से हर राज्य अलग अलग चीजों के लिए मशहूर है। कई राज्यों में प्राकृतिक खूबसूरती का वर्चस्व है तो कहीं पर्वतीय आकर्षण कहुँ गुणगान है। अध्यात्म और आस्था के लिए कई राज्य प्रचलित है तो कहीं इतिहास और शिल्प कला का सौंदर्य है। आकर्षण के मुख्य धारा में कई रोचक जगहों में मध्य प्रदेश के ग्वालियर का भी नाम प्रमुखता से लिया जाता है। 

ग्वालियर का नाम सुनते ही पर्यटकों के जेहन में ग्वालियर के किले का प्रतिबिम्ब बरबस ही छप जाता है। ग्वालियर का किला यहां के प्रमुख आकर्षण के केंद्रों में शुमार है। किले का आकर्षण यहां आने वाले पर्यटकों को अपने सौंदर्य चुंबकीय बल से आकर्षित कर लेता है।
 
यह किला इतिहास के पन्नों में बड़ी प्रमुखता से आज भी नत्थी किया गया है। यह अभेद दुर्ग परमार राजवंश के गौरव पूर्ण  इतिहास का साक्षी माना जाता है। इतिहास के आकर्षक शिलाओं में शुमार यह दुर्ग पहाड़ी पर 300 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।

किले का इतिहास 
इतिहास के तथ्यों में पिरोया हुआ यह किला अपने आप में कई गौरवमयी इतिहास प्रकट करता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि किले का निर्माण एक स्थानीय राजपूत सूर्य सेन ने करवाया था। इस आकर्षक किले का निर्माण 8वीं शताब्दी में किया गया था। किले पर शासन की बात करें तो सूर्य सेन के निर्माण के बाद इस किले पर पाल वंश ने लंबे समय तक अपना आधिपत्य कायम रखा और किले पर शासन किया था। 

पाल वंश के उपरांत यह किला प्रतिहार वंश के अधिपत्य हो गया था। किले को शक्ति और ताकत का बेजोड़ नमूना माना जाता है। महमूद गजनवी ने इस किले पर कई  हमला किया परन्तु किले की मजबूती के समक्ष उसे हार स्वीकार करना पड़ा था। किले का परचम सदैव शक्ति के रूप में लहराता रहता है। किले को हासिल करने के लिए इल्तुतमिश और कुतुबुद्दीन ऐबक ने भी अपनी किस्मत आजमाई थी।  

इन सभी आजमाइश के बाद यह किला  उमर राजवंश के अधीन हो गया था। मान सिंह इसी राजवंश के सबसे प्रतापी राजा थे। राजा मान सिंह को किले से बेहद प्रेम था उन्होंने कालांतर में हुए आक्रमणों से किले पर पहुंची क्षति को ठीक करवा दिया था साथ ही किले को सुसज्जित बनाने के लिए कई नए निर्माण कार्य भी करवाए थे।
 
किले के 2 प्रमुख आकर्षण है। मान मंदिर और गुजरी महल का निर्माण महाराजा मानसिंह द्वारा कराया गया था। मान मंदिर और गुजरी महल के अलावा किले में और भी मुख्य आकर्षण बिंदु है जिनमें जहांगीर महल, करण महल, शाहजहां महल, इत्यादि हैं।

मानसिंह महल 
मानसिंह महल की जितनी तारीफ की जाए यह अतिशयोक्ति नहीं होगी। यह महल हिन्दू स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। मानसिंह महल की खूबसूरती इस महल का शिल्प सौन्दर्य से है।राजा मान सिंह कालापारखी थे। यह महल भारतीय वास्तुकला का अनोखा नमूना है। इस खूबसूरत महल में नक्काशी में कमल का फूल, रुद्राक्ष और कलश का प्रयोग किया गया है। 

सबसे प्रमुख बात यह है कि इस किले में विज्ञान और वास्तुकला का बेजोड़ नमूना देखने को मिलता है। किले को गर्मी में भी ठंडा रखने के लिए वायु प्रवाह का विशेष प्रबंध किया गया था। ऐतिहासिक दृष्टि से प्रमुख इस किले का कोर्टयार्ड सुन्दर नक्काशी वाली जालियों से खूबसूरत ढंग से सजा हुआ है। किला जब सुचारू ढंग से चल रहा था तब इसी कोर्टयार्ड में संगीत की महफिल सजा करती थी। 

महिलाएं जालियों के पीछे बैठकर संगीत के आनंद का लुफ्त उठाते थे। इसकी कोर्टयार्ड में 3 मंजिल नीचे महारानी का निजी हम्माम बना हुआ है। हम्माम का प्रयोग महाराजा उनके रानिया द्वारा किया जाता था। समय बीतने के साथ सात किले का भी इतिहास परिवर्तित हो गया, कुछ समय बाद इस विलासित दुर्ग को मुगल बादशाहों ने कारागार के रूप में परिवर्तित कर दिया था।
 
मुगलों द्वारा इस महल में हृदय विदारक स्मारक जौहर कुंड बनाया गया था। आधुनिक साधनों से लैस इस किले को मुगलों ने पूरी तरह परिवर्तित कर दिया था। परन्तु आज भी किले का शौर्य  लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित विशाल संरचना,दीवारों पर की गई नक्काशी द्वारा पहचाना जाता है।

गूजरी महल 
यह  बेहद खूबसूरत महल राजा मान सिंह के प्रेम की निशानी है।इस महल का निर्माण राजा मानसिंह द्वारा कराया गया था। राजा मान सिंह ने इस महल का निर्माण अपनी प्रिय पत्नी मृगनयनी के लिए करवाया था। खूबसूरत महल का निर्माण पर्वत की तलहटी में किया गया था।
 
महल निर्माण के पीछे एक रोचक लोक कथा मशहूर है। यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि एक बार महाराजा मानसिंह शिकार पर जंगल की ओर निकल पड़े थे जंगल के रास्ते में उन्हें 2 सांड आपस में लड़ते हुए दिखाई दिए।

दोनों की लड़ाई इतनी खतरनाक और भयंकर थी कि राजा के सैनिक भी अपने स्थान से पीछे हटने लगे और तभी इस कहानी में एक कन्या का प्रवेश होता है। कन्या कोई और नहीं बल्कि शक्तिवान गूजर थी। कन्या ने अपने सहज भाव से लड़ते हुए सांड़ों को अलग कर दिया,इसी दृश्य को देखकर महाराजा मानसिंह इस कन्या पर प्रभावित हो गए वीरता के मोह में मंत्रमुग्ध होकर महाराजा मानसिंह ने कन्या के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रख दिया था। गुर्जर कन्या बेहद ही खूबसूरत बुद्धिमान और बलवान भी थी। 

विवाह का प्रस्ताव सुनते ही कन्या ने राजा के सामने एक शर्त रखी उन्होंने कहा कि आप मेरे जी शक्ति से प्रभावित है उसका मुख्य कारण मेरे गांव में पानी होना है। गुर्जर कन्या ने विवाह के प्रस्ताव से राजी होते हुए कहा आप यह सुनिश्चित करें कि मेरे लिए एक अलग महल बनवाया जाएगा और उस महल तक मेरे गांव से पानी के एक नहर पहुंचाई जाएगी, साथ ही कन्या ने कहा कि मैं इसी पानी का इस्तेमाल पीने के लिए जीवन भर करुँगी। 

राजन ने इस शर्त को मंजूरी दे दी और महल निर्माण के पीछे मुख्य वजह भी यही थी। वर्तमान में गुर्जर महल के भीतर एक संग्रहालय है जिसके रखरखाव की संपूर्ण जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग का है। इस खूबसूरत किले में कई विशाल प्रतिमाएं का संग्रह मौजूद है।
 

इसे भी पढ़ें: बलुआ पत्थरों से बना हुमायूं का मकबरा और पारसी कला का पर्याय बगीचा पर्यटन के नजरिए से है बेहद खास

 
तेली का मंदिर 
गोपांचाल पर्वत पर स्थित यह एक विशाल स्मारक है। इस स्मारक को तेली का मंदिर के नाम से जाना जाता है।यह मंदिर 1000 फिट की ऊंचाई पर स्थित है। लोगों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण तेली संप्रदाय के लोगों द्वारा करवाया गया था। यही कारण है कि इस मंदिर को तेली का मंदिर नाम से जाना जाता है।
 
मंदिर की खूबसूरती की बात करें तो यह वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इस मंदिर का निर्माण करवाने वाले तेली संप्रदाय का संबंध तेलंगाना से था। तेलंगाना से संबंध होने के कारण इस मंदिर में भारतीय दक्षिण भारतीय प्रभाव देखने को मिल जाता है।

लाइट एंड साउंड शो 
ग्वालियर किला आकर्षणों का समूह है। यहां कई प्रमुख आकर्षण है उन्ही आकर्षण में एक है लाइट एंड साउंड शो। लाइट एंड साउंड शो का संचालन मध्य प्रदेश टूरिज्म द्वारा किया जाता है। लाइट एंड साउंड शो के जरिए किले की ऐतिहासिक कहानियां और रोचक जानकारियों को रंग बिरंगी रोशनियों के जरिए प्रदर्शित किया जाता है। लाल, नीला, हरा, पीला, काला, जैसे अन्य रंगों के रोशनियों से सो लाइट एंड साउंड शो के समय यह किला जगमगाता रहता है।

पहुंचने के रास्ते 
मध्य प्रदेश के ग्वालियर हवाई सड़क रेल तीनों मार्ग द्वारा जाया जा सकता है। हवाई मार्ग के जरिए राजमाता विजयाराजे सिंधिया एयरपोर्ट दिल्ली, मुंबई, जबलपुर, इंदौर जैसे प्रमुख शहरों को जोड़ता है। रेलवे मार्ग भारतीय रेल के दिल्ली चेन्नई मुख्य मार्ग पर स्थित रेलवे स्टेशन मुंबई, दिल्ली, कोलकाता चेन्नई, बंगलुरू, हैदराबाद जैसे प्रमुख शहरों से अनेकों रेलगाड़ियों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। सड़क मार्ग के जरिए आगरा मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग NH3 ग्वालियर से गुजरता है इसके अलावा ग्वालियर से नार्थ साउथ कॉरिडोर भी गुजरता है।

इसे भी पढ़ें: झारखण्ड में घूमने जाना चाहते हैं तो एक बार यहाँ जरूर जाएं