आध्यात्मिक सुख का अनुभव करना चाहते हैं तो जाएं रामेश्वरम, यहाँ हैं कई प्राचीन मंदिर

तमिनाडु में स्थित रामेश्वरम को देश के चार प्रमुख धामों में गिना जाता है। यह प्रसिद्ध 12 धार्मिक ज्योतिर्लिंगों में एक धार्मिक नगर है। इस स्थान का अपना एक अलग आध्यात्मिक महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रामायण कालीन इस स्थान पर माता सीता ने रेत के शिवलिंग की स्थापना की थी और भगवान राम ने पूजन किया था। रामेश्वरम अपने आश्चर्यजनक मंदिरों और अन्य आकर्षणों के लिए भी जाना जाता है। आज के इस लेख में हम आपको शहर के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं -  

श्री रामनाथस्वामी मंदिर 
रामेश्वरम में श्री रामनाथस्वामी मंदिर अपने शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर भारत के ऐसे कुछ मंदिरों में से एक है जिन्हें पूरी तरह से द्रविड़ स्थापत्य शैली में बनाया गया है। प्राचीन कथाओं के अनुसार, मंदिर परिसर में 112 तालाब हुआ करते थे, जिनमें से केवल 12 शेष हैं। मंदिर अपनी वास्तुकला के कारण भी पर्यटकों को आकर्षित करता है। माना जाता है कि यह मंदिर 12वीं शताब्दी में बनाया गया था। मंदिर को इसकी जटिल और विस्तृत कलाकृति और वास्तुकला के लिए जाना जाता है।

पंचमुखी मंदिर 
पंचमुखी मंदिर, रामेश्वरम का एक और प्रमुख आकर्षण केंद्र है। यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है। पौराणिक कथाओं में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है है। यहां भगवान हनुमान के अलावा भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता के मंदिर भी हैं। किंवदंतियों के अनुसार, यह वह पवित्र स्थान है जहां भगवान हनुमान ने अपने पांच मुखों के बारे में रहस्य का खुलासा किया था।

कोठंडारामस्वामी मंदिर
कोठंडारामस्वामी मंदिर, रामेश्वरम का एक और प्रसिद्ध मंदिर है। भगवान राम को समर्पित इस मंदिर को एकमात्र ऐसी  ऐतिहासिक संरचना कहा जाता है जो 1964 में धनुषकोडि में हुए विशाल चक्रवात से बच गया था। मंदिर में भगवान राम, लक्ष्मण, हनुमान और सीता की मूर्तियां है। यह विभीषण का अंतिम विश्राम स्थल माना जाता है। मंदिर समुद्र से घिरा हुआ है और यात्रा करने के लिए एक सुंदर आकर्षण है।

गंधमादन पर्वत
गंधमादन पर्वत का उल्लेख रामायण में मिलता है। ऐसा माना जाता है कि यह वही पर्वत है जहां से भगवान हनुमान, लक्ष्मण के जीवन को बचाने के लिए औषधीय जड़ी-बूटियाँ लाए थे। पहाड़ के शीर्ष पर भगवान राम का एक मंदिर है, जिसमें भगवान राम के पैरों के निशान भी हैं। मंदिर शहर से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और रामेश्वरम के शीर्ष बिंदुओं में से एक माना जाता है। मंदिर की वास्तुकला दक्षिण के मंदिरों के प्रामाणिक डिजाइन को दर्शाती है।

धनुषकोडि मंदिर
लगभग 500 वर्ष पुराना धनुषकोडि मंदिर, रामेश्वरम एक प्रसिद्ध मंदिर है जो भगवान राम को समर्पित है। इसमें भगवान राम की मूर्ति है, जिसमे उन्होंने धनुष पकड़ा हुआ है। धनुष को स्थानीय भाषा में 'कोथंडमिन' के नाम से जाना जाता है। यही कारण है कि रामेश्वरम में इस प्रसिद्ध पर्यटन स्थल का नाम कोठंडारामस्वामी मंदिर भी है। किंवदंती के अनुसार, यह वही जगह है जहां विभीषण ने ने रावण को नष्ट करने के लिए भगवान राम के साथ गठबंधन करने का वचन दिया था।