उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के बाद, जाएं खिलजी के महल में

उज्जैन भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक प्रमुख शहर है जो क्षिप्रा नदी या शिप्रा नदी के किनारे पर बसा है। यह एक अत्यन्त प्राचीन शहर है। यह विक्रमादित्य के राज्य की राजधानी थी। ये जगह अपनी कालिदास नदी के लिए भी प्रसिद्ध है जो इसे कालिदास की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ हर 12  वर्ष पर सिंहस्थ महाकुंभ मेला लगता है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक महाकाल इस नगरी में स्थित है। उज्जैन मध्य प्रदेश के सबसे बड़े शहर इन्दौर से 45 KM पर है। आइए जानते हैं उज्जैन में और भी घूमने लायक जगहें।

1. महाकालेश्वर मंदिर

यह मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ज्योतिर्लिंग मतलब वह स्थान जहां भगवान शिव ने स्वयं लिंगम स्थापित किए थे। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित है। पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर का मनोहर वर्णन मिलता है। भस्‍म से हर सुबह महाकाल की आरती होती है। दरअसल यह भस्‍म आरती महाकाल का श्रृंगार है और उन्हें जगाने की व‌िध‌ि है। ऐसी मान्यता है क‌ि वर्षों पहले शमशान के भस्‍म से भूतभावन भगवान महाकाल की भस्‍म आरती होती थी लेक‌िन अब यह परंपरा खत्म हो चुकी है और अब कंडे के बने भस्‍म से आरती श्रृंगार किया जा रहा है। 

2. श्री बड़े गणेश मंदिर

श्री महाकालेश्वर मंदिर के निकट हरिसिद्धि मार्ग पर बड़े गणेश की भव्य और कलापूर्ण मूर्ति प्रतिष्ठित है। इस मूर्ति का निर्माण पद्मविभूषण सूर्यनारायण व्यास के पिता नारायण जी व्यास ने किया था। मंदिर परिसर में सप्तधातु की पंचमुखी हनुमान प्रतिमा के साथ-साथ नवग्रह मंदिर तथा कृष्ण यशोदा आदि की प्रतिमाएं भी विराजित हैं। यहाँ गणपति की प्रतिमा बहुत विशाल होने के कारण ही इसे बड़ा गणेश के नाम से जानते हैं। गणेश जी की मूर्ति संरचना में पवित्र सात नदियों के जल एवं सप्त पूरियों के मिट्टी को प्रयोग में लाया गया था। यहाँ गणेश जी को महिलायें अपने भाई के रूप में मानती हैं, एवं रक्षा बंधन के पावन पर्व पर राखी पहनाती हैं। 

3. क्षिप्रा घाट

उज्जैन नगर के धार्मिक स्वरूप में क्षिप्रा नदी के घाटों का प्रमुख स्थान है। नदी के दाहिने किनारे, जहाँ नगर स्थित है, पर बने ये घाट स्थानार्थियों के लिए  सीढीबध्द हैं। घाटों पर विभिन्न देवी-देवताओं के नये-पुराने मंदिर भी है। क्षिप्रा के इन घाटों का गौरव सिंहस्थ के दौरान देखते ही बनता है, जब लाखों-करोड़ों श्रद्धालु यहां स्नान करते हैं।

4. कालियादेह महल

प्राचीनकाल में कालियादेह महल जो आज सूर्य मंदिर के नाम से जाना जाता है, भैरवगढ़ से 3‍ किमी की दूरी पर शिप्रा नदी के पास स्थित है। मुगल शासक मुहम्मद खिलजी ने 1458 में इस महल का निर्माण करवाया था। मांडू के सुल्तान ने यहां 52 कुंडों का निर्माण करवाया था।

5. काल भैरव मंदिर 

काल भैरव मंदिर आज के उज्जैन नगर में स्थित प्राचीन अवंतिका नगरी के क्षेत्र में स्थित है। यह स्थल शिव के उपासकों के कापालिक सम्प्रदाय से संबंधित है। मंदिर के अंदर काल भैरव की विशाल प्रतिमा है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में राजा भद्रसेन ने कराया था। पुराणों में वर्णित अष्ट भैरव में काल भैरव का स्थल है।

6. वेधशाला 

ज्योतिष शास्त्र के दृष्णिकोण से यह स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस वेधशाला का निर्माण सन् 1730 में राजा जयसिंह ने करवाया था। सन् 1923 में महाराजा माधवराव सिंधिया ने इसका पुनः निर्माण कराया। इस वेघशाला में सम्राट यंत्र, रिगंश यंत्र, नाड़ी वलय यंत्र तथा भित्ति यंत्र आदि जैसे प्रमुख यंत्र हैं। खगोल अध्ययन के लिए यह स्थान अत्यंत उपयोगी है।