जानिए मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की 5 रहस्यमयी कहानियां, जहाँ भूत-प्रेतों से लोंगो को मिलती है मुक्ति

भारत अनेक विविधताओं से भरा हुआ देश है। यहां के लोग आस्था के साथ-साथ तांत्रिक विद्या और अलौकिक शक्तियों पर भी भरोसा रखते हैं। 21वीं सदी की आस्था के प्रतीक कई मंदिर आज भी रहस्यमयी कहानियों से परिपूर्ण हैं। इन्हीं रहस्यमयी मंदिरों में से एक है मेहंदीपुर के बालाजी जी का मंदिर। यह मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में दो पहाड़ियों के बीच स्थित है। यहां कलयुग के देवता श्री हनुमान जी की पूजा अर्चना की जाती है। इस मंदिर में  हनुमान जी, प्रेतराज सरकार और भैरों बाबा को मिलकर तीन देवताओं की प्रतिमा हैं। यहां तीनों देवताओं के अलग अलग प्रकार के प्रसाद हैं और उनकी पूजा अर्चना भी भिन्न तरीके से की जाती है। इस मंदिर के बारे में जानकर आप हैरत में पड़ जाएंगे। यहां के विचित्र नजारे, विचित्र मंदिर नियमावली, मंदिर की रहस्यमयी गाथाएं सुन कर और देख कर आप परेशान हो जाएंगे। आज के आधुनिक समय में लोग विज्ञान पर भरोसा रखते हैं भूत पिचास प्रेत को नहीं मानते परंतु आपको जानकर हैरानी होगी कि मेहंदीपुर के बालाजी मंदिर में दूर दराज से लोग भूत पिचास की बाधा से छुटकारा पाने के लिए आते हैं। आइए जानते हैं क्या है मंदिर की रहस्यमयी कहानियां।


प्रसाद घर नहीं ले जा सकते
अमूमन आस्था के प्रत्येक मंदिरों में लोग पूजा अर्चना के बाद प्रसाद चढ़ाते हैं और उसे घर ले जाते हैं। परन्तु इस रहस्यमय मंदिर में ऐसी नियमावली बिल्कुल भी नहीं है। यहां न तो आप प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं, न ही किसी को दे सकते हैं और इतना ही नहीं आप इसे घर भी नहीं ले जा सकते हैं। यहां तक कि इस मंदिर के दरबार से कोई सुगंधित वस्तु या प्रसाद के अलावा अन्य खाने पीने की चीज भी आप घर नहीं ले जा सकते। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस नियम का पालन नहीं करते प्रसाद या अन्य वस्तुओं को घर ले जाने की कोशिश करते हैं उनके ऊपर भूत प्रेत का साया मंडराने लगता है और व्यक्ति परेशान हो जाता है।


बाईं छाती में छेद
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के भगवान हनुमानजी की प्रतिमा में बाईं ओर एक छिद्र है। यहां से हमेशा एक गोले कतार में जल की तेज प्रवाह निकलती रहती है। लोगों की मान्यताओं के अनुसार यह बालाजी का पसीना है। यहां प्रसाद के रूप में बालाजी को लड्डू, प्रेतराज के चावल, और भैरों को उड़द का प्रसाद चढ़ाया जाता है। माना जाता है कि जिन व्यक्तियों पर ऊपरी साया मंडराता रहता है, जिन पर प्रेतों की मायावी शक्ति हावी रहती है, ऐसे व्यक्तियों को जैसे ही इन प्रासादों को खिलाया जाता है वो लोग अजीबो-गरीब हरकतें करने लगते हैं।


भक्तों को करना होता है इन नियमों का पालन
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के दर्शन के लिए आने वाले सभी यात्रियों के लिए यह नियम है कि  कम से कम एक सप्ताह के लिए लहसुन प्याज शराब अंडा मांस का सेवन नहीं कर सकते।बाल्मीकी द्वारा लिखित रामायण में हनुमान को भगवान श्रीराम का परमभक्त बताया गया है,और यही यही कारण है कि हनुमान मंदिर के पास राम सीता के मंदिर को भी बनाया जाता है।बालाजी मंदिर के ठीक सामने श्री राम सीता की प्रतिमा है।बालाजी मंदिर की मान्यता है कि भगवान श्री राम सीता के प्रतिमा का दर्शन बालाजी मंदिर आए भक्तों यात्रियों को करते रहना चाहिए।


अर्जी और दरख्वास्त 2 नियमों से मिलता है प्रसाद
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में प्रसाद को दो श्रेणियों में बांटा गया है।अमूमन यहां के प्रसाद अन्य मंदिरों से भिन्न होते हैं।यहां प्रसाद को दरख्वास्त और अर्जी दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है।दरख्वास्त को बालाजी धाम में हाजिरी भी बोलते हैं।हाजिरी के प्रसाद को दो बार खरीदना होता है, और अर्जी में 3 थालियों में प्रसाद मिलता है।मंदिर में 2 बार हाजिरी लगाने के बाद वहां से तुरंत निकल जाना होता है। अर्जी का प्रसाद लौटते समय लेते हैं इस प्रसाद को अपने हाथों से  पीछे की ओर फेंकना होता है।नियमानुसार इस प्रसाद को फेंकते समय पीछे नहीं देखना चाहिए।


प्रतिदिन दो बजे लगता है मंदिर में दरबार
बालाजी मंदिर दरबार में तीन देवताओं हनुमान जी, प्रेतराज सरकार और भैरों बाबा,की प्रतिमाएं हैं।भैरों बाबा यानी कोतवाल कप्तान की मूर्ति है। यहां हर रोज 2 बजे प्रेतराज दरबार में पेशी (कीर्तन) होता है।दूर दराज से आए लोगों के ऊपर भूत प्रेत की साया को यहीं दूर किया जाता है। इस मंदिर पर दूर दराज से कई यात्री आते हैं।और यहाँ उन्हें भूत पिचास प्रेत जैसी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है।