सदियों से दुनिया को आपस में जोड़े हुए है यह सड़क, जानिए इसके बारे में

इतिहास में कुछ ऐसी चीज़ें होती हैं जो अपने महत्व के कारण सदियों से प्रसिद्ध हैं। दुनिया में कई ऐसे इमारतें, सड़कें और कलाकृतियां हैं, जो सालों से  अपने इतिहास के लिए जानी जाती हैं। ऐसी ही एक सड़क है सिल्क रोड जिसे सिल्क रुट या रेशम मार्ग के नाम से भी जाना जाता है। यह मार्ग प्राचीन काल के प्रमुख व्यापारी मार्गों में से एक था और आज भी जो महत्व इस सड़क का है वो दुनिया की किसी और सड़क का नहीं है। आइए जानते हैं सिल्क रोड के बारे में -  

सिल्क रुट एक ऐसा प्रमुख व्यापारी मार्गों का नेटवर्क था जो प्राचीन काल में पूर्व को पश्चिम जगत को जोड़ता था। इस मार्ग के जरिए ना केवल व्यापारिक गतिविधियां होती थीं बल्कि यह सांस्कृति के आदान-प्रदान का भी मार्ग था। सिल्क रूट की शुरुआत चाइना के हान साम्राज्य में हुई थी। इस रूट ने ईसवीं सन पूर्व 130 से लेकर ईसवीं सन 1453 तक व्यापार को जोड़े रखा। जर्मन जियोग्राफर और ट्रैवेलर  Ferdinand Van Richtho Fan ने इस मार्ग को सिल्क रुट का नाम दिया था। 6500 किलोमीटर लंबे इस मार्ग की मुख्य विशेषता यह थी कि इस सड़क पर चीन के रेशम का व्यापार सबसे अधिक होता था, इस वजह से इसका सिल्क रुट या रेशम मार्ग पड़ा। लेकिन ऐसा नहीं है कि इस मार्ग पर सिर्फ सिल्क का व्यापर होता था। इस मार्ग के जरिए चीन रेश्म, चाय और चीनी मिट्टी के बर्तन भेजता था तो वहीं भारत इस मार्ग के जैरे मसाले, हाथीदांत, कपड़े, काली मिर्ची और कीमती पत्थर का व्यापार करता था। वहीं, सिल्क रुट के जरिएर रोम से सोना,चांदी, शीशे की वस्तुएं, शराब, कालीन और गहने आते थे।

आज से हज़ारों  साल पहले सिल्क रोड का निर्माण किया गया था और इस मार्ग के जरिए दुनिया के कई देश आपस में जुड़े हुए थे। यह रोड चीन को दुनिया के अनेक हिस्सों से जोड़ता था और इस मार्ग के जरिए तरह-तरह की चीज़ों का व्यापार किया जाता था। सिल्क रोड सिर्फ थल मार्ग तक ही सीमित नहीं था। इस कॉरिडोर के जरिए जल और थल दोनों ही मार्गों के जरिए ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था थी। यह ईस्ट एशिया, साउथ ईस्ट एशिया, ईस्ट अफ्रीका, वेस्ट अफ्रीका और साऊथ यूरोप तक व्यापार मार्ग को बढ़ाता था।

सिल्क रोड का स्वर्णिम काल
चीन के दूसरे शासक हान वंश (207 ईसा पूर्व–220 ईस्वी) के शाशनकाल को सिल्क रोड का स्वर्णिम काल कहा जाता है। सिल्क रोड की शुरूआत और विकास इनके राज्यकाल में ही सबसे अधिक हुआ था। इनके शासनकाल के दौरान सिल्क रोड के जरिए ना केवल व्यापार और संस्कृति का आदान- प्रदान किया जाता था बल्कि यह सेनाओं के एक जगह से दूसरे जगह जाने का भी सबसे सुगम मार्ग था। इसी काल में 'द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना' का निर्माण हुआ।

सिल्क रोड के जरिए चीनी शासकों ने 618-908 ईस्वी तक मजबूत रूप से सेंट्रल एशिया पर शासन किया था। सिल्क रोड ने उस समय से ही चीन, कोरिया, जापान, भारत, ईरान, अफगानिस्तान, यूरोप और अरेबिया में सभ्यता के विकास में अहम भूमिका निभाई है। इस मार्ग के माध्यम से धर्म, तकनीक, संस्कृति के साथ-साथ समस्याओं का भी एक देश से दूसरे देश में आदान-प्रदान हुआ करता था।

सिल्क रोड एक निरंतर सड़क नहीं थी, इसमें अनेक देशों से गुजरने वाले कारवां के लिए कई रास्ते शामिल थे। पहली दिशा, उत्तरी सड़क तरिम नदी के किनारे टीएन शान रेंज के बगल से गुजरी फिर यह मध्य एशिया के पहाड़ों में फ़रगना घाटी में चला गया। फिर वोल्गा नदी के साथ, सड़क उत्तरी काले सागर क्षेत्र में ग्रीक उपनिवेशों तक पहुंच गई। मुख्य राजमार्ग दक्षिणी सड़क थी, जो मध्य एशिया में पामीर पर्वत श्रृंखला के माध्यम से अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ईरान के माध्यम से रोम तक जाती थी। फिर सड़क दो दिशाओं में विभाजित हुई, जिनमें से एक सीरिया तक, दूसरी आर्मेनिया के लिए थी।
यात्रा का समुद्री हिस्सा मिस्र, अलेक्जेंड्रिया में लाल सागर से शुरू हुआ और हिंद महासागर भारत के पश्चिमी तटों तक गया। फिर अमु दरिया नदी के पार कैस्पियन सागर तक सड़क ने बैक्ट्रिया का नेतृत्व किया। फिर मार्ग अजरबैजान, आर्मेनिया और इबेरिया (जॉर्जिया) को पार कर काला सागर में चला गया, फिर रोम की ओर बढ़ गया।