एक दिन में घूम सकते हैं अमृतसर की इन खूबसूरत जगहों पर

फरवरी के महीने में कहीं घुमने जाने कि सोच रहे हैं और आप चाहते हैं कि सफ़र ज्यादा लंबा भी ना हो तो आप अमृतसर जाने का प्लान कर सकते हैं। दिल्ली से बस 8 घंटे की दूरी पर पंजाब में बसा अमृतसर देश के खूबसूरत शहरों में जाना जाता है। 16वी शताब्दी में चौथे सिख गुरू, गुरू रामदास जी ने अमृतसर की स्थापना की थी। यहा के एक पवित्र तालाब अमृत सरोवर (अमृत के पूल) के नाम पर इस शहर का नाम पड़ा। 1601 में गुरू रामदास जी के उत्तराधिकारी गुरू अर्जुन देव जी ने अमृतसर का विकास किया. सिखों के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल के रूप में मशहुर अमृतसर स्वर्ण मंदिर, वाघा बॉर्डर, जलियांवाला बाग आदि के लिए जाना जाता है। धार्मिक स्थल होने के कारण, यहां पूरे साल पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। आइये आपको बताते है अमृतसर के प्रसिद्ध स्थानों के बारे में:

स्वर्ण मंदिर (गोल्डन टेम्पल)

अमृतसर के दिल में बसा स्वर्ण मंदिर, सिखों का सबसे बड़ा और पवित्र गुरूद्वारा माना जाता है। स्वर्ण मंदिर को हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है। इस गुरूद्वारे को 16 वीं शताब्दी में 5वें सिख गुरू, गुरू अर्जुन देव जी ने बनवाया था। 19वीं शताब्दी की शुरूआत में महाराजा रणजीत सिंह ने इस गुरूद्वारे की ऊपरी छत पर सोने की परत चढवाई, जिसके कारण इसका नाम स्वर्ण मंदिर पड़ा। हरमंदिर साहिब में मत्था टेके और लंगर खाये बिना अमृतसर की यात्रा पूरी नहीं मानी जाती। ताजमहल के बाद, सबसे ज्यादा पर्यटक स्वर्ण मंदिर की सुंदरता को देखने के लिए अमृतसर आते हैं।

जलियांवाला बाग

गुजरे वक्त में, अमृतसर अनेक लडाईयो और दर्दनाक घटनाओ का गवाह रहा है। इन्हीं घटनाओ में से एक घटना थी जलियावाला बाग हत्याकांड, भारत के इतिहास में दर्ज यह घटना एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी। 13 अप्रैल, 1919 का वह दिन जब जलियावाला बाग में शांतिपूर्व सभा के लिए जमा हुए हजारों निहत्थे भारतीए प्रदर्शनकारियों पर अंग्रेजी सेनाओं की टुकड़ी ने अंधाधुंध गोलियां चालाई थीं। इस घटना में 1000 से ज्यादा लोग मारे गए थे। हमारे देश की आजादी के लिए चल रहे आंदोलनों को रोकने के लिए इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। लेकिन इस घटना के बाद देश के क्रांतिकारियों के हौसले कम होने की जगह और मजबूत हो गए थे। आज के समय में यह बाग एक पर्यटक स्थल बन गया है और हर रोज हजारों लोग इस जगह को देखने आते हैं। 100 साल बाद भी इस जगह पर 1919 की घटना से जुड़ी कई यादें मौजूद हैं। दीवार पर आज भी उन गोलियों के निशान हैं और इसके अलावा वो कुआं (शहीदी कुआ) भी मौजूद है जिसमें महिलाओं और बच्चों ने कूद कर अपनी जान दे दी थी। जलियांवाला बाग, स्वर्ण मंदिर से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

वाघा बॉर्डर

वाघा बॉर्डर भारत और पाकिस्तान के बीच स्थित एकमात्र सड़क सीमारेखा है। यहां हर रोज दोनों देशो के बीच रीट्रीट सेरेमनी आयोजित की जाती है। इस रीट्रीट सेरेमनी के लिए वाघा बॉर्डर मशहुर है। परेड को देखने के लिए स्थानीय लोग और पर्यटक बड़ी संख्या मे वाघा बॉर्डर आते हैं। वाघा बॉर्डर पर आप खुद के अदंर एक अलग सी देशभक्ति महसूस करेगें। 

अगर आप खाने के शौकीन हैं तो अमृतसर आपके लिए किसी जन्नत से कम नहीं होगा। यहां आपको हर जगह बहुत ही स्वादिष्ट खाना खाने को मिलेगा। अमृतसर के छोले कुलचे, छोले भटूरे, लस्सी, नान वेज खाना ना भूलें।