आस्था का केंद्र, पहाड़ी आकर्षण से भरपूर विंध्याचल, भक्तिमय स्थान को देखने एक बार जरूर जाएं

भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के जिला मिर्जापुर में स्थित विंध्याचल बहुत ही प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह तीर्थ यात्रा के लिए प्रसिद्ध स्थल है। यह पवित्र स्थल पतित पावनी माता गंगा नदी के तट पर स्थित है। विंध्याचल और वाराणसी के बीच कुल 70 किलोमीटर की दूरी है वही प्रयागराज और विंध्याचल की बीच की दूरी 85 किलोमीटर है।विंध्याचल स्थल प्रसिद्ध देवी विंध्यवासिनी माँ को समर्पित है। यह स्थान प्रमुख शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है।यह माना जाता है कि विंध्यावासिनी माँ अपने शरणार्थियों को अपना आशीर्वाद तत्काल देती है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार यहाँ माँ विन्ध्यवासिनी देवी ने महिषासुर का वध करने के लिए अवतार लिया है।विंध्याचल में अष्टभुजी देवी मंदिर, काली खोह  मन्दिर, सीता कुण्ड, विन्ध्याचल के गंगाघाट के भी दर्शन कर सकते है। यह तीर्थ स्थल गंगा किनारे है और बहुत ही शान्त और मनमोहक स्थान है। यहाँ आपको  धार्मिक विचारधारा वाले लोग ही दिखाई देंगे।

यहाँ के मंदिरों में अत्यंत भीड़ देखने को मिलती है लेकिन यह टाउन शांतिप्रिय जगह है। विन्ध्याचल में पहाड़ भी देखने को मिल जायेंगे लेकिन ये पहाड़ पठार होते लोग इन्हें बर्फीले पहाड़ समझने की गलती कर देते है। इस स्थान के नज़दीक ही अन्य देवी-देवताओं के कई मंदिरों को देखा जा सकता है। इनमें से कुछ मुख्य मंदिर "अष्टभुजी देवी मंदिर" और "कालीखोह मंदिर" है। कई पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस स्थान को माँ दुर्गा देवी के निवास स्थान के रूप में माना जाता है।इतिहास के दृष्टिकोण से देखे तो यह स्थान औरंगजेब के शासनकाल के दौरान बहुत बार नष्ट और ध्वस्त किया गया है। यह स्थान धर्म के मजबूत संबंध के लिए भी जाना जाता है। यह स्थान हिंदुओं के लिए एक लोकप्रिय अवसर है।यह स्थान बुद्ध पूर्णिमा, हनुमान जयंती, महाशिवरात्रि और गंगा महोत्सव के अवसरों पर भव्य रूप से समारोह आयोजित किया जाता है। यह स्थान 51 शक्तिपीठो में से एक है।

पर्यटन के लिहाज से मशहूर विंध्याचल

विंध्याचल को प्रसिद्ध देवी काली माँ का शक्ति पीठ माना जाता है। यहाँ पर प्राकृतिक के हरे भरे नज़ारे है, जिनमें पेड़-पौधों की हरियाली और पठार है और इन पठारों के ऊपर बनें मन्दिर लोगों का आकर्षण का केंद्र रहते है। यह मंदिर अप्रैल और अक्टूबर के महीनों के दौरान नवरात्रि के अवसर पर बहुत अच्छा और मनमोहक पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है। जून के महीने में यह मंदिर एक वार्षिक प्रतियोगिता का आयोजन करता है जिसे 'कजली' के रूप में जाना जाता है। इस स्थान को देखकर सच में ऐसा प्रतीत होता है जैसे माँ सती यहाँ पर स्वंम विराजमान हो और पावन गंगा नदी इस स्थान की धार्मिक महत्वता को और भी बढ़ जाती है।यहाँ सभी मन्दिर आसपास ही है जिससे आराम से एक ही दिन में इनके दर्शन किए जा सकते है। 

1)गंगा घाट: विन्ध्याचल स्थल पावन नदी गंगा के किनारे बसा हुआ है।इसी से इस स्थान की आस्था और भी बढ़ जाती है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु मुख्य रूप से सबसे पहले गंगा नदी के घाट पर डुबकी लगाकर अपने आप को धन्य करते है। यहाँ गंगा घाट विंध्याचल मंदिर के समीप ही है। यहाँ गंगा नदी के दोनों किनारों पर स्नान करने की सुविधा उप्लब्ध है।

2)विंध्याचल मंदिर: 51 शक्तिपीठो में से एक विंध्याचल मंदिर की महिमा अपरमपार है। यहाँ हर साल श्रद्धालु माँ के दर्शन के लिए आते रहते है। यह अत्यंत पवित्र स्थल है। मंदिर जाते वक्त रास्ते में यहाँ आपको मेला दिखाई देगा जिसमें रेस्टोरेन्ट , प्रसाद की दुकाने , बच्चो के खिलोंनो की दुकाने दैनिक इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओ आदि की दुकाने दिखाई पड़ती है।

3)काली खोह मंदिर: महा काली खोह मन्दिर देवी काली को समर्पित है। आप यहाँ जब कभी भी जाओगे तो रास्ते में आपको प्रसाद , खिलोने इत्यादि की दुकाने दिखाई देंगी और प्रवेश द्वार पर लगी कतार दिखाई देती है। आप इस कतार में लग जाइए यहाँ आपको सबसे पहले श्री भद्र काली मंदिर पड़ेगा फिर हनुमान मन्दिर , शिवलिंग फिर प्रमुख मूर्ति दिखाई देगी जिसके आप दर्शन करे और बाहर निकल आये, यह मंदिर प्रांगण सुर्ख लाल रंग का बना हुआ है। इस मन्दिर के बगल में ही सिद्धि दात्री माँ दुर्गा का भी मन्दिर है, आप यहाँ भी दर्शन कर सकते है।

4)अष्टभुजा मन्दिर: पावन अष्टभुजा मन्दिर विंध्याचल मंदिर से लगभग 3 -4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह मन्दिर एक पहाड़ी स्थान पर स्थित है और यहाँ जाने के लिए आपको तकरीबन 60-70 सीढियां चढ़नी पड़ती है।यह आस्था का प्रतीक बेहद खूबसूरत मंदिर है।


5)सीता कुण्ड: सीता कुण्ड नामक स्थान एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है जहां भगवान् राम,लक्ष्मण और सीता की मुर्तिया लगी हुई है।यहाँ की मान्यता यह है की इसी स्थान पर माँ सीता ने स्नान किया था। वैसे तो सीता कुन्ड एक साधारण सा जल स्त्रोत है लेकिन यह कभी भी सूखता नहीं है। इसी के समीप में कई और मन्दिर है जैसे हनुमान मंदिर, माँ दुर्गा मंदि , सीता मंदिर इत्यादि।

विंध्याचल में कहा ठहरे 

विंध्याचल मंदिर का यह पवित्र स्थान कोई बड़ी जगह नहीं है लेकिन माँ जगदम्बा का यह पावन शक्तिपीठ होने के वज़ह से यहाँ पर माँ के भक्तो का ताँता लगा रहता है। यहाँ पर अनेक धर्मशालाए और होटल मिल जायेंगे, जहां आप आसानी से रुक सकते है।यहां के  करीबी स्थान मिर्ज़ापुर, वाराणसी में भी रुका जा सकता है। यहाँ पर ठहरने की कोई भी समस्या नहीं है। यहाँ सुबह ही पहुच जाने पर शाम 4-5 बजे तक यहाँ के सभी प्रमुख तीर्थ स्थान जैसें 'महा काली खोह मन्दिर' , 'अष्टभुजी मन्दिर' , 'सीता कुण्ड' , 'गंगा घाट' और 'माँ विंध्यावसनी' के दर्शन कर सकते है।

कैसे पहुंचे विंंध्याचल

हवाई मार्ग से: हवाई मार्ग से विंध्याचल के सबसे समीप हवाई अड्डा वाराणसी में लाल बाग शास्त्री हवाई अड्डा है।यह हवाई अड्डा विंध्याचल से 51 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरो से यहाँ से फ्लाइट मिल जाती है। यहाँ से विन्ध्याचल बस द्वारा, ट्रेन द्वारा या किसी भी कार या ऑटो बुक करके जा सकते है।

रेल द्वारा:  रेल द्वारा विन्ध्याचल के सबसे समीप बिंदा चल रेलवे स्टेशन है।यह स्टेशन लोकल ट्रेन के रूट से जुड़ा हुआ है।विंध्याचल रेलवे स्टेशन के अलावा  वाराणसी, प्रयागराज इनमें से कही भी पहुँच कर आराम से आप विंध्याचल मंदिर आ सकते है।

सड़क मार्ग द्वारा:विंध्याचल स्थान भारत के सभी शहरो से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।विंध्याचल बड़े आसानी से सड़क मार्ग के जरिये पहुंचा जा सकता है यहाँ के निकटतम शहर मिर्ज़ापुर, वाराणसी और प्रयागराज है।