हस्तिनापुर की इन बातों को जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

हस्तिनापुर उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास स्थित महाराज हस्ती की बसाई हुई एक प्राचीन जगह है, जो कौरवों और पांडवों की राजधानी के नाम से भी जानी जाती है। इसका महाभारत में काफी उल्लेख किया गया है साथ ही इस जगह का अनेक घटनाओं से संबंध है। महाभारत से जुड़ी सारी घटनाएँ हस्तिनापुर में ही हुई थीं। अभी भी यहाँ महाभारत काल से जुड़े कुछ अवशेष दिखाई देते हैं इनमें कौरवों-पांडवों के महलों और मंदिरों भी शामिल है। इसके अलावा हस्तिनापुर को चक्रवर्ती सम्राट भरत की भी राजधानी माना जाता है। यहाँ स्थित 'पांडेश्वर महादेव मंदिर' की काफ़ी मान्यता है। कहा जाता है यह वही मंदिर है, जहाँ पांडवों की रानी द्रौपदी पूजा के लिए जाया करती थी। 

हस्तिनापुर की स्थापना- मेरठ से 22 किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व में गंगा की प्राचीन धारा के कोने में हस्तिनापुर बसा हुआ है। हस्तिनापुर महाभारत के समय में कौरवों की राजधानी के रूप में भारत में बहुत प्रसिद्ध था। गंगा तट पर स्थित गंगा की धारा जिसे 'बूढ़ी गंगा' कहते हैं यहां के पुराने टीलों के पास से बहती है। पौराणिक पुस्तकों के अनुसार नगर की स्थापना हस्तिन् ने की थी और उसी के नाम पर इस जगह का नाम हस्तिनापुर रखा गया। 

हस्तिनापुर के मशहूर पर्यटक स्थल -हस्तिनापुर में हिन्दू और जैन धर्म के पवित्र स्थल पाए जातें है। यहाँ के मशहूर स्थल जैसे पांडेश्वर मंदिर, करण मंदिर और कमल मंदिर भी शामिल है। जैन लोगों के लिए इस जगह में दिगम्बर जैन का बहुत बड़ा मंदिर है। जहा दूर-दूर से लोग घूमने के लिए आते हैं। मंदिरों के आलावा यहाँ कैलाश पर्वत, अष्टपथ  और हस्तिनापुर वन्यजीव भी है जिसे 1986 में स्थापित किया गया है। 

टीले की खुदाई में मिले थे पुराने अवशेष- हस्तिनापुर मेरठ से 48 किलोमीटर दूर बूढ़ी गंगा नदी के किनारे स्थित है। दिल्ली से यह दूरी करीब 110 किलोमीटर है। जब 1857 ईसवीं में पुरातत्ववेत्ता कनिंघल और 1880 में फ्यूहर ने भी हस्तिनापुर का दौरा किया। इसके बाद पुराने टीले की खुदाई कराई, तो यहां से महाभारतकालीन के धूसर मृदभांड और कई दूसरी सभ्यताओं के अवशेष मिले। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इस टीले को संरक्षित घोषित किया है। 

त्वचा रोग से मुक्ति देता है कुएँ का पानी- इस कुएं के बारे में एक मान्यता है कि इसके पानी से स्नान करने से चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। इस कुएं की एक और खासियत है की इसका पानी कभी कम नही होता है। गर्मी के दिनों में भी पानी का लेवल सामान्य रहता है। लेकिन सही रखरखाव न होने के कारण ये कुआँ अब खराब होने की स्थिति में आ गया है ।