माता का ऐसा अनोखा मंदिर जहाँ धरना देने से पूरी होती है भक्तों की सभी मनोकामनाएँ

नवरात्रि पर्व शुरू होने में अब बस दो दिन बचे हैं। नवरात्रि के दिनों में मंदिरों में माता के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। भारत के हर हिस्से में कई प्राचीन देवी-देवताओं के मंदिर हैं। इनमें से कई मंदिर का इतिहास हजारों साल से भी अधिक पुराना है। कहीं माता को मनसा देवी के नाम से जाना जाता है तो कहीं माता ज्वाला जी के रूप में विराजमान हैं, माता के भक्त उनके सभी रूपों की पूजा सच्चे मन और भक्तिभाव से करते हैं। देश में कई ऐसे मंदिर हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि यहाँ दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएँ पूरी हो जाती हैं। आज के इस लेख में हम आपको माता के ऐसे ही एक चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। मान्यता के अनुसार यहाँ धरना देने से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में -       

देशभर में माता के चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है माँ नेतुला मंदिर 
माँ नेतुला मंदिर बिहार के जमुई जिले के कुमार गांव में स्थित है। माँ नेतुला मंदिर माता काली को समर्पित है और माता नेतुला को चन्द्रघंटा देवी का भी रुप बताया गया है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक प्रमुख स्थल है। मान्यताओं के अनुसार यहाँ पर माता सती की पीठ गिरी थी। यह मंदिर माँ के चमत्कारों के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ जो भी भक्त भक्तिभाव से माता के सामने झोली फैलाता है, माँ उसे कभी खाली हाथ नहीं जाने देती। यही कारण है कि इस मंदिर में सालभर भक्तों की भारी भीड़ रहती है, देश के कोने-कोने से लोग यहाँ आकर मन्नत माँगते हैं। हर साल माँ नेतुला मंदिर में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जो कि देशभर में बहुत प्रसिद्ध है। माँ नेतुला मंदिर में हर जाति-धर्म के लोग अपनी मनोकामना लेकर माता के सामने आते हैं। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहाँ मुस्लिम समुदाय के लोग भी माता के दर्शन करने आते हैं। मां नेतुला मंदिर में हर दिन सुबह और शाम को माँ का फूलों से श्रंगार और आरती की जाती है। इस मंदिर में प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को विशेष पूजा का आयोजन होता है जिसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल होने आते हैं। 
 

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बहुत प्राचीन है मंदिर का इतिहास 
मां नेतुला मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है। माना जाता है कि इस मंदिर का इतिहास करीब 26 सौ साल पुराना है। इस मंदिर का उल्लेख जैन धर्म के पवित्र ग्रंथ कल्पसूत्र में भी मिलता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार जब भगवान महावीर गृह त्याग कर ज्ञान प्राप्त करने निकले थे, तब उन्होंने पहला दिन कुमार गांव में नेतुला मां के मंदिर परिसर स्थित वटवृक्ष के नीचे रात्रि विश्राम किया था और इसी स्थान पर अपना वस्त्र त्याग कर दिया था। 

तीस दिनों तक धरना देने से पूरी होती हैं मनोकामनाएँ 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी भक्त मां नेतुला मंदिर में 30 दिनों तक सच्चे मन से धरना देते हैं माता उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। इस मंदिर को लेकर यह भी मान्यता है कि यहाँ धरना देने से नेत्रहीन लोगों की आँखों की रोशनी वापस आ जाती है और नि:संतान दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति हो जाती है।