भारत के 10 प्रसिद्ध माता के मंदिर, यहाँ सालभर लगी रहती है भक्तों की कतार

नवरात्रि पर्व शुरू होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं। नवरात्रि के दिनों में मंदिरों में माता के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। भारत के हर हिस्से में कई प्राचीन देवी-देवताओं के मंदिर हैं। इनमें से कई मंदिर का इतिहास हजारों साल से भी अधिक पुराना है। कहीं माता को मनसा देवी के नाम से जाना जाता है तो कहीं माता ज्वाला जी के रूप में विराजमान हैं, माता के भक्त उनके सभी रूपों की पूजा सच्चे मन और भक्तिभाव से करते हैं। देश में कई ऐसे मंदिर हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि यहाँ दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएँ पूरी हो जाती हैं। आज के इस लेख में हम आपको देश में माता के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों   के बारे में बताने जा रहे हैं - 

वैष्णो देवी मंदिर
वैष्णो देवी मंदिर, भारत के सबसे प्रसिद्ध देवी मंदिरों में से एक है। समुद्र तल से 1584 मीटर ऊपर, यह मंदिर त्रिकुटा पर्वत के बीच स्थित है। यहाँ झरने के पास एक दुर्गा मंदिर भी है। वैष्णों देवी भवन की यात्रा कटरा से शुरू होती है और आपको मंदिर तक पहुंचने के लिए 13 किमी पैदल चलना पड़ता है। वैष्णो देवी मंदिर के बाद भक्तों को भैरव बाबा के मंदिर भी जाना होता है, जिसके बिना यात्रा अधूरी मानी जाती है। 

चामुंडा देवी मंदिर 
चामुंडा देवी मंदिर, भारत के सबसे प्रसिद्ध देवी मंदिरों में से एक है। मंदिर तक पहुँचने के लिए, आपको पालमपुर से कुछ मील पैदल चलना होगा। भक्त आमतौर पर अपने पूर्वजों के लिए प्रार्थना करने के लिए यहां आते हैं। माना जाता है कि मंदिर के भीतर के तालाब में पवित्र जल है। किवदंतियों के अनुसार पुराने समय में लोग यहां पर यज्ञ करते थे।

कामाख्या मंदिर
गुवाहाटी में नीलाचल पहाड़ी पर स्थित कामाख्या मंदिर, भारत में एक प्रमुख शक्ति पीठ है। यह माना जाता है कि भगवान शिव की पत्नी देवी सती का जननांग यहां गिरा था और मंदिर का निर्माण ठीक उसी स्थान पर हुआ है। यह तांत्रिक संप्रदाय का एक महत्वपूर्ण मंदिर है। मंदिर के सबसे सुंदर पक्ष को देखने के लिए, आपको अंबुबाची मेले और दुर्गा पूजा के दौरान यहाँ अवश्य जाना चाहिए।

दक्षिणेश्वर काली मंदिर 
दक्षिणेश्वर काली मंदिर एक प्रसिद्ध देवी मंदिर है, जो कोलकाता के उत्तर में विवेकानंद ब्रिज के साथ स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1847 में रानी रश्मोनी ने करवाया था। यह मंदिर रामकृष्ण परमहंस के साथ जुड़ा हुआ है, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने यहां आध्यात्मिक दृष्टि प्राप्त की थी। मुख्य मंदिर 12 शिव मंदिरों से घिरा हुआ है।

अंबा माता मंदिर 
गुजरात में जूनागढ़ के सुरम्य शहर में स्थित, अंबा माता मंदिर भारत के उन तीर्थस्थलों में से एक है जो देवी दुर्गा को समर्पित है। यह मंदिर देश के कोने-कोने से भक्तों को आकर्षित करता है। यह उन प्राचीन मंदिरों में से एक है जो 12वीं शताब्दी के हैं। नवरात्रि के दौरान भक्त यहाँ देवी माँ से आशीर्वाद लेने आते हैं।

ज्वाला देवी मंदिर 
कांगड़ा में स्थित ज्वाला देवी मंदिर, मां भगवती के 51 शक्तिपीठों में से एक प्रमुख मंदिर है। इस मंदिर को जोता वाली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर देशभर में प्रसिद्ध है और इस मंदिर को लेकर भक्तों में बड़ी आस्था है। ऐसा माना जाता है कि माँ ज्वाला मंदिर में आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी स्थान पर माता सती की जीभ गिरी थी। मां इस मंदिर में ज्वाला के रूप में विराजमान हैं। ज्वाला देवी मंदिर में भगवान शिव भी उन्मत भैरव के रूप में विराजमान हैं। ऐसा कहा जाता है कि ज्वाला देवी मंदिर में सदियों से प्राकृतिक रूप से 9 ज्वालाएं जल रही हैं। ये ज्वालाएं बिना किसी तेल या बाती के प्राकृतिक रूप से इस मंदिर में जल रही हैं। इन 9 ज्वालाओं को मां भगवती के 9 स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है। इनमें से सबसे बड़ी ज्वाला को ज्वाला माता कहा जाता है। बाकी 8 ज्वालाओं के रूप में माँ अन्नपूर्णा, मां विध्यवासिनी, मां चण्डी देवी, मां महालक्ष्मी, मां हिंगलाज माता, देवी मां सरस्वती, मां अम्बिका देवी और मां अंजी देवी इस मंदिर में विराजमान हैं।

चामुंडेश्वरी मंदिर
यह मंदिर मैसूर में सुंदर चामुंडी हिल्स के शीर्ष पर स्थित है और दक्षिण भारत में प्रसिद्ध देवी मंदिरों में से एक है। देवी दुर्गा के एक अवतार देवी चामुंडी को समर्पित, इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण देवी चामुंडी की मूर्ति है, जो शुद्ध सोने से बनी है। मंदिर का एक और आकर्षण राक्षस महिषासुर की 16 फीट ऊंची प्रतिमा है।

त्रिपुरासुंदरी मंदिर 
अगरतला में त्रिपुरासुंदरी का पवित्र मंदिर, भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यह मंदिर देवी त्रिपुर सुंदरी को समर्पित है। यह 11 वीं शताब्दी की प्रसिद्ध त्रिपुरा शैली की वास्तुकला पर आधारित है। दूर-दूर से श्रद्धालु इस धार्मिक स्थल की यात्रा करने के लिए आते हैं। 

नैना देवी मंदिर
नैनीताल में नैना देवी मंदिर एक झील के किनारे स्थित है। यह माना जाता है कि मंदिर ठीक उसी जगह पर बनाया गया था, जहां देवी सती की आंखें गिरी थीं। यही कारण है कि मंदिर को ननीना देवी मंदिर कहा जाता है।

मंगला गौरी मंदिर
देवी शक्ति को समर्पित मंगला गौरी मंदिर, भारत में एक और प्रमुख शक्ति पीठ है। किंवदंती है कि देवी सती के स्तन उस स्थान पर गिरे थे जहां अब मंदिर है। देवी से आशीर्वाद लेने के लिए दुनिया भर से हिंदू यहां आते हैं। यदि आप यहाँ भव्य समारोह का हिस्सा बनना चाहते हैं तो नवरात्रि के महीनों के दौरान अवश्य जाएँ।