इतिहास के तथ्यों में पिरोया हुआ गोवा का यह भूतिया गाँव 11 महीने तक रहता है जलमग्न

भारत के राज्य गोवा का एक गांव 'कुर्डी' दार्शनिक और ऐतिहासिक गाँव था। सालावाली बांध के बाढ़ से 11 महीने तक जलमग्न रहने वाला यह गांव सनि 1973 तक एक आकर्षित करने वाला गाँव था। 70 के दशक के बाद से यह गांव भूतिया गांव में तब्दील हो चुका है। गांव की सुन्दर मंदिर गुफाएं 34 वर्ष जल्मग्न होने के बाद भी अपने अस्तित्व की लड़ाई में निरर्थक प्रयास कर रही है। 

कुर्डी गांव का दर्शन और इसका इतिहास जानना रोचक बात है। गांव का यह वर्तमान कदाचित भविष्य में देखने को नहीं मिलेगा। गांव की अवस्था प्रत्येक बीते वर्ष में बिगड़ती जा रही है। लेकिन इस गाँव का दर्शन करना व्यक्तियों के मन में लालसा से भरा हुआ है। कुर्डी गाँव 1973 तक समान्य गाँव की तरह था।
 
लोग यहां रहते थे आम दिनचर्या के साथ अपना जीवन व्यतीत करते थे। लेकिन 1983 के बाद इस गांव में जैसे भूचाल साया उसके बाद यह गांव लोगों द्वारा भूतिया गांव माना बन गया है। यह गावं दक्षिण गोवा में स्थित है। यह बांध जुआरी की सहायक नदी सैलाऊली नदी पर स्थित है। बांध 24 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल के साथ 42.7 मीटर ऊंचा है। बांध का विस्तृत विस्तार एक अद्भुत नजारा प्रस्तुत करता है।

इतिहास
1970 दशक के अंत सालावली बाँध की कल्पना गोवा के प्रथम मुख्य मंत्री द्वारा की गयी थी। कुर्डी गाँव कुशावती नदी के किनारे पर बसा हुआ था। नदी तट पर सोमेश्वर मंदिर है, यह मंदिर पूर्व समय में चारों ओर बसे कुर्डी गाँव की यादें ताज़ा कर देता है। यह मंदिर आज भी यहां गर्व से स्थापित है। बाँध के जलग्रहण क्षेत्र को निर्मित करने के लिए केवल कुर्डी ही नहीं, गोवा के सांगे तालुका के लगभग 17 गाँव है। 1973-74 में सभी गांव वासियों को समीप के वेलिप और वल्किनी गाँवों को मूव (स्थानांतरित) किया गया था।

कुर्डी गाँव देखने कब जाएं
इस गाँव में जाने के लिए मई महीने का उत्तरार्ध सबसे ठीक समय है।कुर्डी गाँव के जाने  के लिए छोटे से समय की ही अवधि मिल पति है। मानसून के आगमन से पहले ही इस गावं की जानकारी लिया जा सकता है।यही कारण है कि अमूमन लोग यहां देर से जाते हैं।
इस गांव में ऐतिहासिक अंश देखने को मिल जाएंगा लेकिन ये पानी के स्तर पर निर्भर करता है। पानी का स्तर जितना नीचे की ओर होगा उतना ही अधिक भाग देखने को मिल सकता है। सोमेश्वर मंदिर जैसे ऊंचाई पर स्थित कुछ स्थल को छोड़कर हर वर्ष यहाँ जलस्तर जितना नीचे होगा, उतना ही अधिक अंश देखा जा सकता है। इसलिए सोमेश्वर मंदिर जैसे ऊंचाई पर स्थित कुछ स्थल को छोड़कर प्रत्येक वर्ष यहाँ अलग दृश्य देखने को मिलता है।

कुर्डी गांव के अनोखे तथ्य
यह गाँव शास्त्रीय गायिका का प्रसिद्ध निवास स्थान था। यह गांव पद्म विभूषण मोगूबाई कुर्डीकर का प्रसिद्ध स्थान है। पद्म विभूषण मोगूबाई की सुपुत्री थीं, स्वर सम्राज्ञी स्वर्गीय सुश्री किशोरी अमोणकर जी, जो स्वयं सुप्रसिद्ध पारंगत शास्त्रीय गायिका रहीं। कुर्डी गांव के दर्शन का एक और कारण यह भी था कि इस गाँव के अन्य गणमान्य व्यक्ति थे, गणेश वेलिप एवं श्रीराम कुर्डीकर। कुर्डी गाँव का प्रसिद्ध मंदिर गोवा के कुर्डी गाँव लोगों का जीवन सामाजिक क्रिया कलाप मंदिरों के चारों ओर ही केन्द्रित रहता है।

कुर्डी महादेव मंदिर
महादेव का यह मंदिर स्थानान्तरण से पहले कुर्डी में स्थित था। बाँध निर्माण के पहले इस मन्दिर को सालावली बाँध के निकट सुरक्षित स्थान पर कर दिया गया था। निर्माण के वक्त इस मंदिर को सावधानी पूर्वक एक एक पत्थर अलग करके पुनर्निर्मित किया गया था तथा यह उन अद्भुत इमारतों में से एक हैं, जिसकी संरचना को इस प्रकार स्थानांतरित किया गया था। अब यह मंदिर सालावली बाँध के निकट स्थित है।

श्री सोमेश्वर मंदिर
सोमेश्व मंदिर इस गांव की प्रमुख मन्दिर मानी जाती है। अब भी यह मन्दिर गर्व से अपने ही स्थान पर खड़ी है। मंदिर के भीतर श्री सोमेश्वर नाम की शिवलिंग स्थापित है। इस मंदिर के अध्ययन से पता चला है कि गांव में रहने वाले इस लिंग को स्वयंभू लिंग मानते थे। यही कारण है कि इस मंदिर को कहीं भी स्थानांतरित नहीं किया गया है। मंदिर के अंदर पत्थर की पटिया है, जिस पर 12 चिन्ह हैं। यह चिन्ह 12 महीने या 12 राशिचिन्ह के प्रतीक माने जाते है।
 
मंदिर का दीपस्तंभ भी था लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह दीपस्तंभ जलमग्न हो चुका है। मंदिर के सामने कंक्रीट की बनी संरचना है जिसे ‘शेज़ो’ नाम से जाना जाता है। 2016 के बाद कुर्डी गाँव के निवासी यहाँ वार्षिक कुर्डी उत्सव का आयोजन करते हैं, जिसमें वे यहाँ एकत्र होकर पूजा पाठ करते हैं। यहां उत्सव एवं पूजा अर्चना के चिन्ह चारों ओर स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ते है।

कुर्डी गाँव की गुफाएं
कुर्डी गाँव की कुछ गुफाएं चट्टानों में कटी हुई हैं। इन गुफाओं को खोजना अब आसान कार्य नहीं है यह गुफाएं बाँध परियोजना के परितंत्र में कहीं छुपी हुई हैं। लेटराइट की एक चट्टान से इस गांव में देवी माँ की एक सुन्दर और विशाल छवि निर्मित की गयी है। स्थानान्तरण के दौरान इस लेटराइट की चट्टान को बड़ी ही कुशलता से निकालकर दक्षिण गोवा के वेरणा गाँव ले जाया गया है। वेरणा के मूल महालसा नारायणी मंदिर के समीप रखी इस चट्टान को रखा गया है।