दार्जलिंग (क्वीन ऑफ़ हिल्स) में घूमने की बेहतरीन जगहें

भारत की खुबसुरती की बात ही अलग है, ऐसे ही समुद्र तल से 2 हजार 200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पश्चिम बंगाल का हिल स्टेशन दार्जिलिंग टूरिस्ट्स के बीच काफी फेमस है। दार्जलिंग में लाखों लोगों का जमावड़ा लगा रहता है। दार्जलिंग इस हद तक खूबसूरत है कि उसे क्वीन ऑफ हिल्स के नाम से जाना जाता है। दार्जलिंग चारों तरफ से हरियाली के बीच घिरा हुआ प्रदेश है। दार्जलिंग की खूबसूरत वादियों को देखने के लिए साल में 5 लाख से ज्यादा लोग घूमने आते है। दार्जिलिंग सिर्फ चाय के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध नहीं है बल्कि अपनी खूबसूरती के कारण भी यह शहर दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। 

1. टाइगर हिल- दार्जलिंग के टाइगर हिल को सूर्योदय के समय देखने के लिए अक्सर लोग जाते है। समुद्रतल से 8482 फुट की ऊँचाई टाइगर हिल स्थित है। आपने यूँ तो हमेशा अपनी रोजमर्रा सूर्योदय देखते होंगे लेकिन टाइगर हिल का सुर्यदाय देखने दूर-दूर से लोग आते है। दार्जलिंग में टाइगर हिल को देखने के लिए लोग सूर्योदय से पहले खड़े होने लग जाते है। 

2. टॉय ट्रेन- दार्जलिंग में जाने के बाद टॉय ट्रैन का मजा लेना सब लोगों की लिस्ट में होता ही है। जिस तरह दार्जिलिंग की चाय दुनियाभर में मशहूर है ठीक उसी तरह दार्जलिंग की टॉय ट्रेन भी अपनी ख़ास पहचान के लिए जानी जाती है। टॉय ट्रैन की स्थापना 1921 में हुई थी। एक घंटे के सफर में टॉय ट्रैन  70 किमी तक का फासला तय करती है और दार्जलिंग के खूबसूरत नज़ारे दिखाती है। 

3. जापानी मंदिर(पीस पगोडा)- यह दार्जिलिंग शहर से 10-15 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मंदिर जापानी मंदिरों की तरह सफ़ेद पत्थर से और गोल आकार  में बनवाया गया है। इस मंदिर की स्थापना दार्जलिंग में शांति के लिए की गई थी। इस मंदिर से पुरे दार्जिलिंग और कंचनजंघा का सुंदर नजारा देखने को मिलता है। 

4. दार्जलिंग के गार्डन- माउंटेनियरिंग संस्थान के दाई और पद्मजा नायडू हिमालयन जैविक उद्यान स्थित है | इस उद्यान में हिमालयन तेंदुआ और लाल पांडा को भी देखा जा सकता है। इसके साथ ही यहा तिब्बती भेड़िए और साइबेरियन बाघ भी है जिन्हे देखने के लिए लाखों लोगों की भीड़ आती है। यहाँ आर्किड फूल  की 50 प्रजातियाँ भी देखने को मिलती है।

5. चाय के बागान- चाय के लिए ही दार्जिलिंग पूरे विश्व में प्रसिद्ध है | यहाँ की चाय सबसे महंगी और बहुत ही खुशबूदार मानी जाती है।यहाँ के सभी उद्यानों की चाय अलग-अलग किस्म की होती है। दार्जलिंग में चाय की खेती के लिए सबसे पहला बीज कुमाऊँ की हिल से लाया गया था।