जानकर हैरान रह जायेंगे भारत में एक नहीं दो ताजमहल हैं

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल अपनी अप्रतिम धरोहर को ताल-तालाबों की गोद में समेटे ऐसी सपनों की नगरी है, जिसे स्वयं राजा भोज ने अपने शासनकाल के दौरान सुशोभित करवाया था। तभी तो भोपाल को राजा भोज की नगरी और झीलों की नगरी कहा जाता है। इस शहर को प्रकृति ने अपार प्रेम और स्नेह देते हुए बेहद लाजवाब बनाया है। लेकिन भोपाल की इस सुंदरता को आधुनिकता की दौड़ में भोपाल गैस त्रासदी की भयावह कृत्रिम मार जरूरी मिली है।लेकिन यह तालाबों का शहर जहां ठहरे हुए पानी में भी अपार ठंडक बनी रहती है। जो मनुष्य की खातिर हर पल शीतलता और सहजता का वरदान मालूम होती है। भोपाल आए हैं तो इन खास जगहों में घूमने ज़रूर जाएं-

बड़ा तालाब
भोपाल के पश्चिमी छोर पर राजा भोज के द्वारा निर्मित भोजताल या आधुनिक जुबान में कहें तो 'बड़ा तालाब' भोपाल को अद्वितीय बनाता है। तालाब के तट पर से निहारने पर आप जल ही जल का अलग ही नजारा देख पाएंगे। इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में नजरों को थम जाने को मजबूर हो जाएं तो अचंभा कि बात का। अपने हाथों को पानी की बूंदों का आश्चर्य स्पर्श कराने की प्रबल इच्छा हो तो किनारों पर मौजूद नाव, 
मोटरबोट से पूर्ण किया जा सकता है। 361 वर्ग किलोमीटर में केवल विशाल तालाब मनोरम दृश्य प्रदान करता है। जहां जाकर रोमांचित और अचंभित होना लाजमी है।

ताज-उल-मस्जिद
भारत की मशहूर वास्तुकलाओं में शुमार मुगल वास्तुकला का अनोखा कृत्य जिसकी नींव शाहजहां बेगम के शासनकाल में रखी गई। आप इमारतों में काबिज भारतीय संस्कृति के परिदृश्य को अपनी कल्पनाओं से परे अपनी नजरों से देखने का शौक रखते हैं तो ताज-उल-मस्जिद जो एशिया की सबसे बड़ी मस्जिदों में शामिल है उसका लुत्फ ले सकते हैं।

भारत भवन
कलाओं का ऐतिहासिक केंद्र भोपाल के भारत भवन के रूप में श्यामला पहाड़ियों में स्थित है। जिसका टेक्सचर प्रसिद्ध वास्तुकार चार्ल्स कोरिया ने बनाया।
भारत भूमि के शब्दशः कवित्व लेखनी के संग्रहण का विशेष केंद्र कवि संग्रहालय भी इसी भवन में बनाया गया है। भोपाल यात्रा के दौरान इस धरोहर को देखा और परखा जा सकता है।

ताज महल
अगर ताजमहल का नाम सुनकर आप ताज्जुब मान रहे हैं कि भोपाल में ताजमहल कैसे हो सकता है तो यकीन मानिए भोपाल की सुल्तान शाहजहां बेगम ने अपने निवास के लिए सन् 1884 में ये महल बनवाया। महल के तैयार होने के उपरांत इसका नाम राजमहल रखा गया था किंतु भोपाल के बर्तिनिया अध्यक्ष ने बेगम शाहजहां को महल की वास्तुकला का हवाला देते हुए इसका नाम ताजमहल करने का सुझाव दिया। तत्पश्चात परिवर्तित नाम ताजमहल हो गया। ऐसे में यदि आप भोपाल की यात्रा पर हैं तो आगरा के ताजमहल के अलावा भी एक और ताजमहल देखने का मौका पा सकते हैं।

फिश एक्वेरियम
भोपाल आने पर एक प्रसिद्ध मछली घर भी घूमने जाया जा सकता है। मध्य प्रदेश की राजधानी में स्थित ये एक्वेरियम मुंबई के तारापुर में स्थित फिश एक्वेरियम के बाद दूसरा सबसे बड़ा एक्वेरियम है।
जिसका उल्लेख 'वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ एक्वेरिया' में भी मिलता है।