जानिए केरल में हई खून की बारिश के पीछे का पूरा रहस्य

कई बार प्रकृति अपने ऐसे अनोखे रूप दिखती है जिसे समझने में आम इंसान तो क्या बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी असमर्थ रह जाते हैं। कुछ ऐसा ही वाक्या 19 साल पहले दक्षिण भारत के केरल में हुआ था जिसका सच आज भी कोई नहीं जान पाया है। 5 जुलाई  2001 को केरल में लाल की बारिश हुई थी। खून के रंग की बारिश को देखकर केरल के लोग दंग रह गए थे। आइए जानते हैं केरल में आसमान से हुई खून की बारिश के पीछे की पूरी कहानी -    
 
आपको बता दें कि साल 2001 में केरल के दो जिलों - कोट्टयम और इदुक्की में लाल रंग की बारिश हुई थी।  यह बात 25 जुलाई 2001 की है, उस दिन अचानक से बहुत तेज़ हवाएँ चलने लगी थी।  तेज़ हवाओं के साथ बादलों में से बिजली भी कड़कने लगी थी।  अचानक से बादलों की तेज़ गड़गड़ाहट के साथ मूसलाधार बारिश होने लगी लेकिन केरल के लोग जब बारिश के पानी का रंग देखते हैं तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गई थीं।  दरअसल, पानी का रंग बिलकुल खून की तरह लाल था और हैरान करने वाली बात यह थी कि यह बारिश का लाल रंग का पानी कपड़ों पर खून की तरह पीले दाग भी छोड़ रहा था।  
 

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खबरों के मुताबिक केरल के कई इलाकों में काले, हरे और पीले रंग की भी बारिश हुई है| कुछ लोगों का यह भी कहना है कि इस तरह की लाल रंग की बारिश केरला में 1896 में भी हुई थी।  उसके बाद 2001 में 25 जुलाई से 23 सितम्बर तक इसी तरह की बारिश देखने को मिली। इसके बाद जून 2012 में भी केरल में कुछ ऐसा ही कुछ देखने को मिला था।  

लाल बारिश का पैटर्न
इस लाल रंग की बारिश का एक खास तरह का पैटर्न था।  यह हमेशा कुछ वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में नहीं हुई बल्कि बहुत ही स्थानीय क्षेत्र में यह बारिश हुई।  उस समय इस स्थानीय बारिश पैटर्न के पीछे क्या कारण है यह स्पष्ट नहीं हो पाया था। इससे भी अधिक दिलचस्प बात यह है कि इस बारिश में लाल रंग की बारिश 20 मिनट से अधिक नहीं हुई थी।

क्या था इस लाल रंग की बारिश का कारण 
2001 में बारिश के पानी के सैंपल सेण्टर फॉर अर्थ साइंस स्टडीज़ (CESS) के पास भेजे गए।  इस मामले में CESS का मानना था कि किसी उल्कापिंड के फटने की वजह से ये लाल रंग की बारिश हो रही है।  हालाँकि, बाद में यह थ्योरी गलत साबित हुई और इसके बाद बारिश के पानी के सैंपल ट्रॉपिकल बॉटैनिकल गार्डन एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट (TBGRI) को भेजे गए।  वहां माइक्रोस्कोपिक जांच में सामने आया कि बारिश का रंग लाल होने का कारण एक प्रकार का शेवाल (alga) है।  इस शेवाल की छोड़ी हुई काई और जीवाणुओं से ही इस बारिश का पानी लाल हुआ है।  हालांकि, केरल के बादलों में ये जीवाणु कैसे पहुंचे यह आज भी रहस्य बना हुआ है।