भारत का केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी, अध्यात्म और ऐतिहासिक इमारतों का बेजोड़ नमूना है

पुडुचेरी भारत गणराज्य का एक केंद्र शासित प्रदेश है। यह प्रदेश फ्रांस का गुलाम था। इसका वर्तमान नाम पांडीचेरी है। 300 वर्षों तक फ्रांस का गुलाम रहने के कारण इस प्रदेश में आज भी फ्रांसीसी वास्तुकला और वहां की संस्कृति के कई नमूने है। यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यहां अध्यात्म से जुड़े कई बेहद खूबसूरत स्थान है। यहां प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में पर्यटकों का जमावड़ा लगता है। 

प्राचीन समय में यह प्रदेश फ्रांस से व्यापार का मुख्य केंद्र था। यहां भारतीय और फ्रेंच संस्कृति के एक साथ दर्शन करना संभव है। यहां के ऐतिहासिक इमारतों के साथ साथ आस्था के प्रतीक अध्यात्मिक मंदिर भी है।
 
यहां के ऐतिहासिक इमारतों का अवलोकन करने तो दूर दराज से लोग आते ही हैं साथ में आध्यात्म को तवज्जो देने वाले कई श्रद्धालु भी यहां मन की शांति और सुकून की तलाश में आते हैं। यह स्थान ऐतिहासिक इमारत, आध्यात्मिक मंदिरों और सुन्दर समुद्री तटों के मेल से बना खूबसूरत संगम है। आइए जानते हैं यहाँ के कुछ खूबसूरत स्थानों के बारे में।

पैराडाइज बीच 
यह बेहद खूबसूरत बीच की सबसे खास बात यह है कि यहां डॉल्फिन का करतब  देखा जा सकता है। बीच शहर से 8 किलोमीटर दूर मेन रोड के पास स्थित यह बेहद खूबसूरत बीच हैं। सुंदरता के प्रमुख स्थानों  में शुमार यह बीच पर्यटन की दृष्टि से किसी स्वर्ग से कम नहीं है। बीच के पीछे एक खूबसूरत छोटी खाड़ी भी है। इसको बीच को निहारने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है यहां सिर्फ नाव के जरिए ही जाया जा सकता है। 

नौका बिहार के समय डॉल्फिन का शानदार करतब लोगों के दिल को छू जाता है।यहां का पर्यावरण भी बेहद खूबसूरत है। यहां घूमने बाद यहां के खूबसूरत वातावरण को भूल पाना मुश्किल है। यह पांडिचेरी  के खूबसूरत स्थानों में एक है।बीच पर घूमने यहां हर वर्ष पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है। यहां का नौका बिहार, डॉल्फिन का करतब, खाड़ी की सुंदरता भूले नहीं भूलती है।

आरोविल्लो बीच
यह स्थान तैराकों के लिए बेहद शानदार है। तैराकी के शौकीन लोग यहाँ अपने अनुभवों को प्रदर्शित कर सकते हैं। यह स्थान पांडिचेरी से 12 किलोमीटर दूर स्थित है। इस बीच के तट में पानी की मात्रा कम है जिसके कारण यहां आसानी से तैराकी के आनंद का लुप्त उठाया जा सकता है। ऊपर नीला आकाश और नीचे बीच का नीला पानी सप्ताहांत के दिनों में खूब भाता है। 

यहां प्रतिदिन की अपेक्षा साप्ताहांत के दिनों में अधिक भीड़ लगती है। यहां तैरने के शौकिन लोगों के साथ साथ मन बहलाने की अन्य पर्यटक भी आते हैं। बीच की पर्यटन खूबसूरती पर्यटकों के जमावड़े की संख्या अधिक कर देती है। यह आरोविल्लो के पास स्थित है यही कारण है कि इस बीच को आरोविल्लो बीच के नाम से जानते हैं।

आध्यात्मिक स्थान 
पुडुचेरी अध्यात्म के नजरिए से बेहद खास है।यहां कई आध्यात्मिक  दार्शनिक स्थल है। यहाँ के मुख्य आकर्षण केंद्र में अध्यात्म का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। यह स्थान उन लोगों के लिए बेहद खास है जो जिंदगी के प्रति दिन की भागदौड़ से परेशान हैं, अक्सर ऐसे व्यक्ति शांति की तलाश में अध्यात्म से जुड़े दार्शनिक स्थलों का रुख करते हैं। यहाँ जीवन के हर परेशानियों से दूर, शांतिमय जीवन को महसूस किया जा सकता है। 

शांति की तलाश में निकले पर्यटकों के लिए पांडिचेरी  बेहद ही खास स्थान है। यह स्थान प्राचीन काल से वैदिक संस्कृति का केंद्र रहा है। सबसे खास बात यह है कि यह अध्यात्म का सबसे बेहतरीन नमूना महान ऋषि अगस्त्य की पावन भूमि है।यहां जब अरविंदो आश्रम की स्थापना हुई तब से आध्यात्मिक शक्ति 12 वीं  शताब्दी की ओर बढ़ने लगी थी। शांति की तलाश में यहां प्रतिवर्ष सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं।

पार्क स्मारक 
पांडिचेरी का यह सबसे खूबसूरत सरकारी पार्क है। यहां घूमने के लिए सार्वजनिक स्थानों की बहुलता है। यहां का प्रमुख आकर्षण पार्क में बना आयी मंडपम है। यह ग्रीक रोमन के वास्तुकला का बेहद खास नमूना है। इस खूबसूरत सफेद इमारत का निर्माण नेपोलियन त्रितीय के शासनकाल में कराया गया था। सबसे बेहतरीन बात यह है कि इस जगह का नाम महल में काम करने वाली एक महिला के नाम पर रखा गया है। 

महिला का नाम रखे जाने के पीछे एक वजह है माना जाता है कि महिला ने अपने घर के स्थान पर एक जलकुंड बनाया था। नेपोलियन ने कभी इसी जल कुंड के पानी को पीकर प्यास तृप्त कीया था। नेपोलियन इस बात से काफी प्रसन्न हुआ और यही कारण है कि इस पार्क का नाम आयी मंडपम रखा गया था।

डुप्लेक्स की प्रतिमा
फ्रैंकाइस डुप्लेक्स पुदुचेरी के गवर्नर थे। गवर्नर ने अपने कार्यकाल में कई अनोखे निर्माण पुदुचेरी के लिए करवाया था। गवर्नर के सम्मान में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए उनके प्रतिमा का निर्माण किया गया था। डुप्लेक्स की प्रतिमा एक फ्रांस में हैं और एक पुदुचेरी में है।
 
प्रतिमा की सबसे खास बात यह है कि यह फ्रेंच और भारतीय वास्तुकला के मिश्रण का बेहतरीन नमूना है। इसका निर्माण सन् 1738 में किया गया था। राज्यपाल द्वारा लिखी गई डायरी से 17 वीं शताब्दी के  फ्रांस और भारत के संबंधों के बारे में अनोखी जानकारी मिलती है। इसे प्राचीनतम इमारतों की संज्ञा दी गई है।

कैसे पहुंचे पुडुचेरी?
पुडुचेरी पहुंचने के लिए वायु,रेल और सड़क तीनों से सुगम मार्गो के जरिए जाया जा सकता है।

वायु मार्ग के जरिए यहां से सबसे नजदीक हवाई अड्डा चेन्नई का है। यह हवाई अड्डा भारत के प्रमुख शहरों को जोड़ता है।

रेलवे मार्ग के जरिए यहाँ पहुंचने के लिए सबसे निकटतम रेलवे जंक्शन बिल्लापुरम है। यह प्रमुख रेलवे जंक्शन चेन्नई, और मदुरै से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग के जरिए पुडुचेरी का सफर तय करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 45 का चयन किया जा सकता है।