राजस्थान के इस अनोखे मंदिर में लोग लिखते हैं गणेश जी के नाम खत

भारत के हर हिस्से में देवी-देवताओं के हज़ारों मंदिर हैं। इनमें से कुछ मंदिर सदियों पुराने हैं तो कुछ ऐसे हैं जिनके बारे में जानकर हर कोई हैरान हो जाता है। कहीं मंदिर में अपने आप ज्वाला जल रही है तो किसी मंदिर में हजारों चूहे रहते हैं। ऐसा ही एक अनोखा गणेश जी का मंदिर राजस्थान के रणथंभौर में भी है। ईमेल और व्हाट्सअप के जमाने में लोग इस मंदिर में गणेश जी के नाम चिट्ठी लिखते हैं। आइए जानते हैं इस अनोखे मंदिर के बारे में -    

राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के रणथंभौर में गणेश जी का एक प्रसिद्ध और अनोखा मंदिर स्थित है। हम बात कर रहे हैं रणथंभौर के प्रसिद्ध त्रिनेत्र गणेश जी मंदिर की। इसे रणतभंवर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर 1579 फीट ऊंचाई पर अरावली और विंध्याचल की पहाड़ियों में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 10वीं सदी में रणथंभौर के राजा हमीर ने करवाया था। कहा जाता है कि महाराजा हमीरदेव चौहान को गणेशजी ने स्वप्न में दर्शन दिए थे  और उस स्थान पर पूजा करने के लिए कहा जहां आज यह गणेशजी की प्रतिमा है। हमीर देव वहां पहुंचे तो उन्हे वहां स्वयंभू प्रकट गणेशजी की प्रतिमा मिली। हमीर देव ने फिर यहां मंदिर का निर्माण कराया।
 
गणेश की का यह मंदिर देश के अन्य मंदिरों से अलग है। गणेशजी की मूर्ती में तीन आँखें हैं। इस मंदिर में गणेश जी अपनी पत्नी रिद्धि-सिद्धि और पत्र शुभ-लाभ के साथ विराजमान हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है यहां गणेशजी के नाम आने वाले पत्र। पूरे देश से लोग त्रिनेत्री गणेशजी को चिट्ठी भेजते हैं। घर में कोई शुभ काम हो या शादी-ब्याह हो तो सबसे पहले गणेश जी को निमंत्रण भेजा जाता है। लोग या कार्ड या चिट्ठी कूरियर या डाक से भेजते हैं। यहां भेजे जाने वाले कार्ड्स या चिट्ठियों पर पता लिखा होता है - श्री गणेज जी, रणथम्बौर। यहां पहुंचने वाले कार्ड्स को यहाँ के पुजारी बाकायदा गणेश जी प्रतिमा के सामने लाकर उनके कान में पढ़कर सुनाते हैं। माना जाता है कि इस मंदिर में गणेशजी को निमंत्रण भेजने से सभी कार्य निर्विघ्न पूरे हो जाते हैं।