प्राकृतिक सुंदरता के आकर्षण का केंद्र होने के साथ घूमने की सबसे सस्ती जगहों में से एक है गोकर्ण

गोकर्ण आस्था और प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण अरब सागर के किनारे कर्नाटक राज्य में स्थित है। गोकर्ण को आस्था की नगरी और पर्यटन के केंद्र के कारण दूसरी काशी के भी नाम से जाना जाता है। गोकर्ण हिंदू तीर्थ स्थल, तथा घूमने के लिए बीचो का सम्मिलित रूप है। दो नदियों गंगावाली और अघनाशिनी के बीच में गाय के कान के आकार का होने के कारण इस जिले को गोकर्ण कहा जाता है। गोकर्ण ऐतिहासिक मंदिर, सागर तट तीर्थस्थल, प्राकृतिक पर्यटन के आकर्षण से विश्व प्रचलित हैं। सैलानियों की भीड़ यहां पुरे साल लगी रहती है।

समुद्री तट और बीच जैसे आकर्षण स्थल, भीड़ कम होने होने के कारण इसे कम भीड़ वाला गोवा भी कहा जाता है। गोकर्ण मे महाबलेश्वर, भद्रकाली मंदिर, ओम बीच, कुडले बीच  गोकर्ण बीच, याना,  हाफ मून बीच पैराडाइस जैसे आकर्षण स्थल मौजुद है। गोवा के निकट होने के कारण सैलानियों का ताता लगातार गोकर्ण की ओर बढ़ता जा रहा है साथ ही यहा के तीर्थ स्थल गोकर्ण के आकर्षण में चार चांद लगा देते हैं।गोकर्ण के बीच सागर और आस्था के प्रतीक मंदिर का आकर्षण देख के सैलानियों के पाव थमे रह जाते हैं।

गोकर्ण का इतिहास
गोकर्ण का इतिहास बहुत ही प्राचीन और आस्था से जुड़ा हुआ है। गोकर्ण का महाकालेश्वर शिवलिंग पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है।माना जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना लंकेस्वर रावण के द्वारा किया गया था। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार रावण ने यहां अपना आत्म लिंग स्थापित किया है।आत्मलिंग स्थापित करके रावण अजेय की शक्तियां प्राप्त करना चाहता था।इस कारण से सम्पूर्ण देवताओं के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई। परन्तु भगवान गणेश ने सूझबूझ से काम लिया और ऐसी चाल चली  कि रावण लिंग त्याग कर लंका वापस चला गया।

गोकर्ण के आकर्षक स्थान  

महाकालेश्वर मंदिर
महाकालेश्वर मंदिर गोकर्ण के आकर्षक स्थान मे से एक प्राचीन मंदिर है।महाकालेश्वर मंदिर में भगवान शिव के शिवलिंग की पूजा की जाती है। इस मंदिर को आत्म लिंग के नाम से भी जाना जाता है।आस्था के प्रतीक इस मन्दिर में करोड़ों श्रद्धालु दर्शन पूजन करने आते हैं।यह मंदिर कीमती धातु सफेद ग्रेनाइट से बना हुआ है।महाकालेश्वर मंदिर द्रविड़ वास्तुकला की सुंदरता का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं।1500 वर्ष पुरानी इस मंदिर में श्रद्धालुओं का आस्था और विश्वास दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। और यही कारण हैं कि मंदिर हमेशा श्रद्धालुओं के भीड़ से भरी रहती है।नकाशीदार पत्थर से निर्मित मंदिर कला के दृष्टि से भी मनोहारी है।

ओम बीच
ओम बीच गोकर्ण के मुख्य प्रचलित स्थानों में से एक है।यह बीच ओम के आकार का है और यही कारण है कि इसे ओम बीच कहा जाता है।शांति और मनोरंजन का संपूर्ण सम्मेलन यहां सैलानियों को प्राप्त होता है।ओम बीच वाटर स्पोर्ट्स के नजरिये से खूब प्रचलित है।तैराकी के शौकीनों के लिए यह बीच बेहद रोमांचक है क्योंकि इस बीच पर तैराकी करना बहुत ही आसान है। ओम बीच प्राकृतिक सुन्दरता तटीय आकर्षण और शांति का संगम है।

हाफ मून बीच
गोकर्ण के बेहद ही खास स्थानों में से एक हाफ मून बीच है। चंद्रमा के आधे आकार का होने के कारण इसे हाफ मून बीच कहते है।  इस बीच पर प्रकृति की सुन्दरता का आनंद उठाया जा सकता है। इस बीच के रास्ते में अनेक प्रकार के पहाड़ियों का भी लुप्त उठाया जा सकता है। समुद्र के किनारे की तेज हवाएं,समुद्र की लहरें,और बीच का शांतिमय स्थान लोगों को खूब भाता है। हाफ मून बीच का सफर करने के बाद ये पर्यटकों के दिल में बस जाता है।

पैराडाइज बीच
गोकर्ण के मशहूर पर्यटक स्थानों में से एक पैराडाइज बीच अपनी खूबसूरती से पर्यटकों का मन मोहने में कामयाब रहा है। शांति की तलाश में निकले पर्यटकों के लिए पैराडाइज बीच बहुत ही अच्छी जगह है।इस बीच पर आनंद की मनोकामना स्वर्ग तक पहुँच जाता है शायद इसलिए इसे पैराडाइज बीच कहा जाता है।समुद्र की लहरें तेजी से आकर टकराना और फिर वापस चला जाना पैराडाइज बीच का मुख्य आकर्षण बिंदु है।इस बीच में घूमने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है नाव की यात्रा निराली होती है।इस बीच में जाने के लिए जंगलों से होकर जाया पड़ता है।

कुडेल बीच
गोकर्ण के मशहूर पर्यटक स्थानों में से एक कुडेल बीच हैं। कुडेल बीच गोकर्ण का सबसे बड़ा बीच है।इस बीच का मुख्य आकर्षण चारों और घेरे खजूर के पेड़ हैं। यहां खजूर के पेड़ का आकर्षण देख के ऐसा अनुभूत होता है जैसे स्वर्ग में खेती की जा रही हो और लहलहाती फसल की हरियाली दिख रही हो।सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य की लालिमा सीधे समुद्र के जल पर पड़ती है सूर्य की लालिमा देख कर ऐसा लगता है जैसे सागर और सूर्य के बीच कोई सेतु बन गई हो।