असम की इस रहस्य्मयी घाटी में हर साल हजारों परिंदे करते हैं सुसाइड

जतिंगा  वैली दक्षिणी असम के दीमा हसाओ जिले में बसा एक गांव है। यहां हर साल हज़ारों परिंदे आत्महत्या करते हैं। यह जगह पूरे देश में पक्षियों के सुसाइड पॉइंट के नाम से प्रसिद्ध है। दरअसल, लगभग पिछले 100 सालों से मानसून के बाद अक्सर सितंबर और नवंबर के महीने में कृष्णपक्ष की रातों में यहां बड़े पैमाने पर पक्षी आत्महत्या करते हैं। इस घटना मेंस्थानीय और प्रवासी पक्षियों की 44 प्रजातियां शामिल होती हैं। यह हादसा तब होता है जब आसमान में धुंध छा जाता है और तेज़ हवाएं दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर बहने लगती हैं। शाम 6 से 9 बजे के बीच ये परिंदे बिलकुल विचलित हो जाते हैं। रात के अंधेरे में पक्षी रोशनी के आस-पास उड़ने लगते हैं और आसपास की चीजों से टकराकर मर जाते हैं। 

इसके घटना के पीछे अलग-अलग वजह बताई जाती हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस घटना के पीछे भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियों का हाथ है। वहीं, वैज्ञानिक मानते हैं कि रात को तेज चलती हैं जिसकी वजह से पक्षियों का संतुलन बिगड़ जाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक जातिंगा असम के बोरैल हिल्स में स्थित है, जहां काफी बरसात होती है। बेहद ऊंचाई और पहाड़ों से घिरे होने के कारण यहाँ बहुत बादल और गहरी धुंध होती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक गहरी घाटी में बसे होने के कारण जातिंगा में तेज बारिश के दौरान जब पक्षी यहां से उड़ने की कोशिश करते हैं तो वह पूरी तरह से गीले हो चुके होते हैं। ऐसे में प्राकृतिक रूप से उनके उड़ने की क्षमता खत्म हो जाती है। यहां बांस के बेहद घने और कटीले जंगल हैं, ऐसे में गहरी धुंध और अंधेरी रातों के दौरान पक्षी इनसे टकराकर दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। जहां तक तय समय की बात है तो पक्षी शाम के इस समय अपने घरों को लौटने की कोशिश करते हैं ऐसे में इस वक्त दुर्घटनाएं ज्यादा होती हैं।

भारत सरकार ने इस गुत्थी को सुलझाने के लिए प्रसिद्ध पक्षी विशेषज्ञ डॉ। सेन गुप्ता को नियुक्त किया था। डॉ। गुप्ता ने यहां लंबे समय तक शोध करने के बाद कहा कि पक्षियों के इस असामान्य व्यवहार के पीछे मौसम और चुम्बकीय शक्तियों का हाथ है। उन्होंने बताया कि बारिश के मौसम में जब कोहरा छाया हो और हवा चल रही हो, तब शाम के समय घाटी की चुम्बकीय स्थिति में तेजी से बदलाव आ जाता है। इस बदलाव के कारण ही ये परिंदे असामान्य व्यवहार करते हैं और वे रोशनी की ओर आकर्षित होते हैं। अपने शोध के बाद उन्होंने सलाह दी कि ऐसे समय में निवासी रोशनी जलाने से बचें। स्थानीय निवासियों ने उनकी इस सलाह पर अमल किया जिससे यहां होने वाली पक्षियों की मौत में 40 फीसदी की कमी आई है।