त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से दूर होते हैं सम्पूर्ण पाप,जानिए क्या है इसका इतिहास 

आस्था में विश्वास रखने वाले लोग श्रद्धा और भक्ति में ओतप्रोत रहते हैं।ऐसे लोगों अधिकतर भक्ति रस में डूबे रहते हैं।किसी किसी का मूल सिद्धांत आस्था के प्रतीक मंदिरों का दर्शन करने के साथ साथ मोक्ष प्राप्ति के लिए दार्शनिक स्थलों का दर्शन करना होता है। ऐसे ही प्रसिद्ध मंदिरों में सुमार त्रिम्बकेश्वर मंदिर भगवान शिव का एक लोकप्रिय मंदिर हैं। नासिक में स्थित यह मंदिर सबसे अधिक पूजे जाने वाले 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। मंदिर के पास से ब्रह्मगिरी नामक पर्वत से पूर्ण शीला गोदावरी नदी निकलती है जो मंदिर की आस्था और आकर्षण में चार चांद लगा देते हैं।यह स्थान भारत में सबसे अधिक पूजे जाने वाले स्थानों में से एक है। गोदावरी नदी का दक्षिण में अधिक महत्व है,ठीक उसी प्रकार जैसे उत्तर भारत में पतित पावनी माता गंगा का महत्व है। माता गंगा से तुलनात्मक यह नदी लगभग सामान्य है। जिस प्रकार करता है गंगा नंदी के श्रेय भागीरथी को है वैसे ही गोदावरी नदी का प्रवाह ऋषि श्रेष्ठ गौतम जी के महान तपस्या का फल है।


त्रयम्बकेश्वर मंदिर से जुड़ी कुछ अनुठी बातें

शिव पुराण में भी वर्णित है।शिव पुराण के अनुसार गौतम ऋषि गोदावरी और सभी देवी देवताओं के आग्रह पर भगवान शिव ने इस स्थान पर वास करने का निश्चय किया, भगवान शिव के निवास करने के उपरांत से ही यह स्थान त्रयम्बकेश्वर महादेव के नाम से लोकप्रिय हुआ था। बृहस्पति को सिंह राशि में आने पर यहां विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। यहां आए पाक श्रद्धालु गौतमी गंगा में स्नान करके महादेव श्री त्रिम्बकेश्वर का दर्शन,पूजन और अर्चना करते हैं।दर्शन करने के उपरांत श्रद्धालु अपने जीवन को धन्य मानते हैं। यहीं से उनके मोक्ष प्राप्ति की सीढ़ी चढ़ने की शुरुआत हो जाती है।


मंदिर का मुख्य आकर्षण 

त्रिम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग की सबसे खास बात यह है कि इस ज्योतिर्लिंग के तीन मुख हैं।तीनों मुखों में अलग अलग देवता की मान्यता है। तीनों मुखों में पहला  ब्रह्मा दूसरा विष्णु और तीसरा भगवान रुद्र का रूप माना जाता है।मंदिर परिसर में एक मुकुट रखा गया है। इस मुकुट को त्रिदेव का मुकुट कहा जाता है। मुकुट की खास बात यह है कि यह रत्न जड़ित हैं। मुकुट में हीरा पन्ना और कई बेशकीमती रत्न जड़ित हैं।इस कीमती मुकुट का त्रंबकेश्वर मंदिर में श्रद्वालुओं को सिर्फ सोमवार के देन शाम  4 बजे से 5 बजे तक दर्शन कराया जाता है। 


लोकप्रिय त्रयम्बकेश्वर मंदिर का निर्माण गोदावरी नदी के किनारे काले पत्थरों से किया गया है। वास्तुकला का अनोखा परिचय देने वाला यह मंदिर श्रद्धालुओं और शिव भक्तों के मन में हमेशा विद्यमान रहता है।मंदिर के भीतर एक गर्भगृह है,गर्भगृह में प्रवेश करने के बाद शिवलिंग सामने दिखाई देता है।ध्यान से देखने पर यहां एक इंची के तीन शिवलिंग दिखाई पड़ते है।ब्रह्मा विष्णु महेश का अवतार इन्हीं तीनों लिंकों को माना जाता है और यही कारण है कि स्थान को त्रिदेव भी कहा जाता है।सिंधु और शैली का यह अद्भुत नमुना है।काल सर्प दोष के शांति वाले श्रद्धालुओं के लिए यह स्थान बेहद खास है, क्योंकि यहां काल सर्प दोष की शांति वैदिक पंडितों द्वारा कराई जाती है।


ज्योतिर्लिंग की प्रचलित कथा 

पापनाशक इस ज्योतिर्लिंग की एक प्रचलित कथा है। शास्त्रों के अनुसार यह कथा महर्षि गौतम ब्राह्मण की पत्नियों पर आधारित है। एक बार महर्षि गौतम के तपोवन में रहने वाले ब्राह्मण की पत्नियों अहिल्या (गौतम ऋषि की पत्नी) से नाराज हो गई थीं।नाराजगी का सुर इस कदर बदला में तब्दील हुआ कि सभी पत्नियां अपने पति को प्रेरित किया कि वह महर्षि गौतम का अपमान करें। इस कार्य को पूर्ण करने के लिए उन ब्राह्मणों ने भगवान गणेश की आराधना की,आराधना से प्रसन्न होकर उन से वर मांगने को कहा। इस पर उन सभी ब्राह्मणों ने भगवान गणेश से कहा की प्रभु हमें सिर्फ एक ही वर चाहिए। आप किसी तरह से महर्षि गौतम को इस तपोवन से बाहर का रास्ता दिखा दीजिये।गणेश जी को कश्मकश में ये बात माननी पड़ी,तभी गणेश जी ने एक दुर्बल गाय का रूप धारण करके ऋषि गौतम के खेत में फसल खाने लगे।

कुछ समय के बाद महर्षि गौतम वहां पहुंचे और तिनकों की मुट्ठी से उन्हें हटाने लगे,परंतु तीनको के बल से ही गौ पृथ्वी पर गिर गई और उन्हीं के सामने गौमाता का देहांत हो गया। उसी वक्त बदले की भावना से सभी ब्राह्मण एकत्रित होकर ऋषि गौतम का अपमान करने के लिए उन्हें गांव हत्यारा के नाम से पुकारने लगे। विषम परिस्थिति उत्पन्न होने के बाद महर्षि गौतम ने उन ब्राह्मणों से पापों से मुक्ति के लिए प्रायश्चित का माध्यम पूछा । महर्षि द्वारा प्राश्चित के माध्यम पूछे जाने पर ब्राह्मणों ने कहा गौतम तुम पाप को सर्वत्र बताते हुए तीन बार पृथ्वी की परिक्रमा करो,फिर लौट कर इसी स्थान पर एक महीने का व्रत रखो। तथा इस ब्रह्मगिरी का सौ बार परिक्रमा करो तभी तुम्हारी शुद्धि हो पायेगी।


ब्राह्मणों ने कहा कि यदि यह नहीं कर सकते तो यहां गंगा जी को लाकर उनके जल से स्नान करके एक करोड़ पार्थिक शिवलिंग से भगवान शिव जी की आराधना करो। तथा इसके बाद पुनः गंगा जी में स्नान कर 100 घड़े से पार्थिव शिवलिंग को स्नान कराने से गौ हत्या से मुक्ति मिलेगी।  ब्राह्मणों की बात मानते हुए ऋषि गौतम ने यह कठोर प्रायश्चित किया, उनके इस कठोर साधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन से वर मांगने को कहा वर मांगते हुए महर्षि ने कहा कि मेरे ऊपर लगे गौ हत्या से मुझे मुक्त कर दीजिये, इस बात पर भगवान शिव ने कहा गौतम तुम निष्पाप हो तुम्हारे ऊपर कलंक लगाया गया है। गौ हत्या तुम से छल पूर्वक कराया गया है। भगवान शिव ने क्रोधित होकर कहा इस कृत्य के लिए हम तुम्हारे आश्रम के ब्राह्मणों को दंडित करूँगा। इस पर महर्षि गौतम ने कहा कि प्रभु उनकी इसी कार्य से मुझे आपके दुर्लभ दर्शन प्राप्त हुए हैं। अब उन्हें मेरा आदरणीय समझकर उन लोगों से क्रोध त्याग दे।


इस बात पर बहुत सारे विषय मुनि और देवगणों एवं गंगा ने वहां उपस्थित होकर ऋषि मुनि के बाद को अनुमोदन करते हुए भगवान शिव से प्रार्थना की कि भगवान आप सदा के लिए यहीं पर निवास करिये। देवताओं को प्रार्थना को सम्मान देते हुए भगवान शिव हमेशा के लिए गौतमी तट पर त्रंबक केश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रतिष्ठित हो गए।


दर्शन मात्र से संपूर्ण होंगी मनोकामनाएं 

त्रिम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग एक पापनाशक ज्योतिर्लिंग के नाम से विख्यात है।माना जाता है यहां आने वाले श्रद्धालुओं  कि हर मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यहां लगने वाले महाकुंभ में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।तट पर स्थित यह मंदिर गंगा नदी के कारण विशेष स्थान है।