उत्तराखंड की खूबसूरती का एक अंश नैनीताल भी कहलाता है, जानिए और बातें

खूबसूरत पहाड़ी में बसा नैनीताल हमेशा से एक बेस्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन रहा है। यहां के ऊंचे और खूबसूरत पहाड़, झीलें, मंदिर और चारों तरफ फैली हरियाली आपको नैनीताल का दीवाना बना देगी। ;नैनीताल को झीलों का शहर भी कहा जाता है। अगर आप रोज के शोर शराबे से परेशान हो चुके हैं और कुछ दिन के लिए इन सबसे दूर जाना चाहते हैं तो फिर नैनीताल आपके लिए बेस्ट ऑप्शन है। आइए आज आपको नैनीताल की ऐसी जगहों के बारे में बताएंगे जो आपको वहाँ जाने के लिए मजबूर कर देंगी। 

1. नैनी झील- नैनी झील को नैनीताल का दिल भी कहा जाता है। नैनी झील में आसपास के सारे पहाड़ों का रिफ्लेक्शन पड़ता है जिसकी वजह से इसका पानी बिल्कुल हरा दिखता है और यह दृश्य देखने में काफी हसीन लगता है। इस झील में आप बोटिंग का भी लुत्फ उठा सकते हैं, इससे आप झील की खूबसूरती को करीब से महसूस कर पाएंगे।
 
2. इको केव- यहाँ के सबसे मशहूर जगहों में से एक है इको केव । इस गुफा के अंदर काफी सारी गुफाएं हैं। इस गुफा की सबसे खास बात ये है कि बाहर चाहे जैसा भी मौसम हो लेकिन इस गुफा में हमेशा ठंड ही रहती है। इस गुफा के आसपास कई सारी बॉलिवुड फिल्मों की शूटिंग भी हुई है जिसे देखने के लिए अक्सर लोगों की भीड़ इकट्ठी होती है। 
 
3. राज भवन- राज भवन को गर्वनर हाउस के नाम से भी जाना जाता है। ये उत्तराखंड के गर्वनर का आवास है। हमारे देश में कुछ ही गर्वनर हाउस हैं जो आम जनता के लिए खुले हैं, ये भी उनमें से एक है। 220 एकड़ में फैला ये राज भवन देखने में बेहद खूबसूरत और भव्य है। राज भवन को सर्किट हाउस भी कहा जाता है। 
 
4. नैनीताल का सनसेट- नैनीताल को अपने सनसेट के लिए ज्यादा जाना जाता है। नैनीताल के मुक्तेशवर मंदिर से सनसेट का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। आप यहां शिवलिंग का दर्शन करने के बाद बाहर सनसेट का खूबसूरत नजारा भी देख सकते हैं। लोग नैनीताल के नज़रों को अपने कैमरे में कैद करना चाहते हैं।
 
5. नैना देवी मंदिर- माता सती के 51 शक्ति पीठ में से नैना देवी भी एक पीठ है। यह मंदिर पूरे देश में हिंदू समाज का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। मंदिर 1500 साल पहले बनाया गया था, जबकि नैना देवी की मूर्ति 1842 में मोती राम शाह नामक देवी के भक्त द्वारा मंदिर में स्थापित की गई थी पर 1882 में भूस्खलन के कारण मंदिर टूट के खत्म हो गया था।  इसे 1883 में फिर से इलाके के स्थानीय निवासियों द्वारा फिर से बनाया गया था। जिसकी काफी मान्यता हैं।