अब ऑनलाइन मिलेगा लाल किला घूमने के लिए टिकट, जानें इसके इतिहास के बारे में

लाल किले का निर्माण पांचवें मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वारा 1639 में अपनी राजधानी शाहजहानाबाद के महल के रूप में करवाया गया था। लाल किले की दीवारें लाल रंग के बलुआ पत्थर से बनी हुई हैं, इसी वजह से इसका नाम लाल किला पड़ा।  इस विशाल किले का निर्माण 10 वर्ष में पूरा हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि इसके निर्माण में लगभग एक करोड़ रूपए लगे थे।
 
लाल किला 17वीं शताब्दी में बनाया गया था।  उस समय शाहजहां ने इसे राजधानी शहर के रूप में इस्तेमाल किया था। सन 1856 तक इस किले पर लगभग 200 वर्षों तक मुगल वंश के सम्राटों का राज था। यह किला मुग़ल बादशाहों का औपचारिक और राजनीतिक केंद्र था।  यह क्षेत्र खास तौर से होने वाली सभा के लिए स्थापित किया गया था। जब शाहजहाँ ने इस किले पर शासन किया तब इसे शाहजहानाबाद कहा जाता था।

लाल किला दिल्ली के केन्द्र में यमुना नदी के तट पर स्थित है।  इस भव्य किले को अष्टकोणीय आकार में बनाया गया है। इस पूरे किले पर संगमरमर से सजावट की गई है। लाल किले के अंदर तीन द्वार हैं और यह किला दिल्ली के सबसे बड़े किलों में से एक है। लाल किला के सौंदर्य, भव्यता और आर्कषण को देखने दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं।  लाल किला अपनी शाही बनावट और अनूठी वास्तुकला के लिए दुनियाभर में मशहूर है।  लाल किले में कई मंडप हैं जो मुगल सम्राट की रचनात्मकता दर्शाता है। इस महल को वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी ने डिजाइन किया था। 

लाहौरी गेट
लाहौरी गेट लाल किले का मुख्य गेट है जिसका नाम लाहौर शहर से लिया गया है।औरंगजेब के शासनकाल के दौरान इस गेट देखरेख नहीं की गई जिसके कारण इसका सौंदर्य खराब हो गया था।  इस गेट की सुंदरता के कारण शाहजहाँ ने इसे 'एक सुंदर महिला के चेहरे पर घूंघट' के रूप में वर्णित किया था। 1947 में आजादी के मौके पर देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने यहां तिरंगा फहराया था, तब से हर साल स्वतंत्रता दिवस पर इस किले पर फहराया जाता है और प्रधानमंत्री अपना भाषण देते हैं।

दिल्ली गेट
लाल किले के अंदर बना दिल्ली गेट एक सार्वजनिक प्रवेश द्वार है, जो अपने आर्कषण और सौंदर्य की वजह से पर्यटकों का ध्यान अपनी तरफ आर्कषित करता है।  यह गेट बनावट में लाहौरी गेट के समान दिखता है। इस गेट के दोनों ओर दो बड़े पत्थर के हाथी एक दूसरे के आमने-सामने बने हुए हैं।

रंग महल
लाल किला के अंदर बने रंग महल में मुगल शासक शाहजहां की पत्नियां और रखैलें रहती थीं।  रंग महल की बेहद सुंदर नक्काशी की गई थी और इस महल को शीशे की मोज़ेक के साथ सजाया गया था। पहले रंग महल का नाम ”पैलेस ऑफ कलर्स” भी रखा गया था।

दीवान–ए–आम
यह मुगल शहंशाह शाहजहां के द्धारा 1631 और 1640 के बीच में  प्रमुख कोर्ट के तौर पर बनाया गया था, यह  उस दौरान मुगल बादशाहों का शाही महल हुआ करता था। इस स्मारक में शानदार नक्काशी और आर्कषक सजावट करने के साथ-साथ सफेद संगमरमर के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, जहां पर सभी मुख्य फैसले लिए जाते थे।

दीवाने खास
भारत की इस बहुमूल्य ऐतिहासिक इमारत के अंदर बना दीवान-ए-खास भी, मुगल बादशाह शहंशाह का पर्सनल रुम था, जहां की दीवारों में बहुमूल्य पत्थर और रत्न जड़े हुए थे।

मोती मस्जिद
दुनिया के इस भव्य किले के परिसर में बनी मोती-मस्जिद को साल 1659 में मुगल शासक शाहजहां के बेटे औरंगजेब द्धारा अपने निजी मस्जिद के रुप में बनवाया गया था, जहां पर वह अपनी रोज की नमाज अदा करता था।

मुमताज महल
मुमताज महल इस भव्य ऐतिहासिक लाल किला के परिसर में अंदर बनी 6 सबसे खूबसूरत ऐतिहासिक संरचनाओं में से एक है, जिसका नाम मुगल सम्राट शाहजहां की सबसे पसंदीदा बेगम मुमताज महल के नाम पर रखा गया है।

खस महल
भारत की शान मानी जाने वाली इस ऐतिहासिक इमारत के अंदर बने खस महल पहले मुगल बादशाह शाहजहां का पर्सनल आवास हुआ करता था, जिसके अंदर तीन अलग-अलग तरह के कक्ष बने हुए है। खस महल की बेहद सुंदर नक्काशी की गई है, इसमें बेहद शानदार तरीके से सफेद संगमरमर के पत्थऱ और फूलों की बनावट से सजाया गया है।

हमाम
लाल किले के अंदर बना हमाम एक ऐसा ऐतिहासिक स्मारक है, जहां सम्राटों द्धारा शाही स्नान किया जाता था। इस इमारत का इस्तेमाल सम्राटों द्धारा शाही स्नान के लिए किया जाता था, जिसमें स्नान के लिए पानी की जगह गुलाब जल का इस्तेमाल किया जाता था।

हीरा महल
दुनिया के इस सबसे खूबसूरत और भव्य किले के साउथ की तरफ बना हीरा महल देखने में बेहद भव्य है, जिसे बहादुरशाह द्धितीय ने बनवाया था। कुछ इतिहासकारों के मुताबिक प्रभावशाली सम्राट बहादुरशाह ने इस महल के अंदर पहले एक बहुमूल्य हीरे को छिपाया हुआ था, जो कि कोहिनूर हीरे से भी ज्यादा बेशकीमती था। हालांकि, अंग्रेजों के समय लाल किले में बने हीरा महल को नष्ट कर दिया गया था।

चट्टा चौक
इस ऐतिहासिक और भव्य लाल किले के अंदर मुगलों के समय में हाट लगता था, जहां बेशकीमती गहने और कपड़े मिलते थे।

कोरोना महामारी के चलते मार्च महीने में लाल किला आम जनता के लिए बंद कर दिया गया था।  लेकिन अनलॉक के बाद अगस्त महीने में लाल किया आम जनता के लिए खुल गया है।  लाल किला घूमने के लिए टिकट लेना होता है।  कोरोना से पहले खिड़की से टिकट लेने की सुविधा थी लेकिन अब केवल ऑनलाइन टिकट बुक करके ही लाल किया घूमा जा सकता है। बच्चों और वयस्कों को केवल स्मारक घूमने का टिकट कर्मश: 35 रुपए और 50 रुपए है। वहीं स्मारक और संग्रहालय दोनों देखने का टिकट क्रमश: 56 रुपए और 80 रुपए का है।