जानें सच! खजुराहो के मंदिरों में क्यों हैं कामुक, सम्भोगरत और नग्न मूर्तियां?

मध्यप्रदेश के छतरपुर में स्थित खजुराहों के मंदिर अपनी अद्भुत शिल्पकला और अकल्पनीय मूर्तिकला के लिए पूरी दुनिया में विश्व विख्यात हैं। यहां भारत के बेहद प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों का समूह है। इन मंदिरों की दीवारों पर बनी हुई कामोत्तेजक मूर्तियां यहाँ आने वाले सभी सैलानियों का ध्यान अपनी ओर आर्कषित करती हैं। यहां पर हिंदू और जैन धर्म के मंदिरों का समूह है जो कि खजुराहो के समूह के नाम से प्रसिद्ध हैं।खजुराहो समूह के स्मारकों को 1986 से यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसे भारत के "सात आश्चर्यों" में से एक माना जाता है।

खजुराहों के मंदिर का इतिहास
खजुराहो के इन मंदिरों का निर्माण 950 और 1050 इसवी के बीच चंदेला वंश के शासक चंद्रवर्मन ने करवाया था। खजुराहो का इतिहास काफी पुराना है। खजुराहो का नाम खजुराहो इसलिए पड़ा क्योंकि यहां खजूर के पेड़ों का विशाल भूभाग था। खजिरवाहिला से नाम पड़ा खजुराहो। जैसे-जैसे चंदेला शासन की ताकत का विस्तार हुआ उनके साम्राज्य को बुंदेलखंड का नाम दे दिया गया था और फिर उन्होंने खजुराहो के इन भव्य मंदिरों का निर्माण कार्य शुरू किया था। इन मंदिरों के निर्माण में काफी लंबा वक्त लगा गया था। इन मंदिरों के निर्माण से पहले चंदेला शासन की राजधानी खजुराहो थी। परंतु इन प्रसिद्ध मंदिरों के निर्माण के बाद चंदेला के शासकों ने अपनी राजधानी उत्तरप्रदेश में स्थित महोबा को बनी ली। 

खजुराहो मंदिर से जुड़ी प्रमुख और विशेष बातें
 
खजुराहो में वे सभी मैथुनी मूर्तियां हैं जो प्राचीनकाल में मानव उन्मुक्त होकर करते थे। जिन्हें ना ईश्वर का डर था और ना ही धर्म की नैतिकता का। कामसूत्र की तरह ही खजुराहो के मंदिर भी विश्वप्रसिद्ध हैं क्योंकि इनकी बाहरी दीवारों में लगे कई मनोरम और मोहक मूर्ति शिल्प वर्करी कामसूत्र के विभिन्न आसनों को दर्शाते हैं।

खजुराहो के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कामकला के आसनों में दर्शाए गए स्त्री-पुरुषों के चेहरे पर एक अलौकिक और दैवी आनंद की आभा झलकती है। इसमें जरा भी अश्लीलता का आभास नहीं होता। ये मंदिर और इनका मूर्तिशिल्प भारतीय कला की अमूल्य धरोहर हैं। इन मंदिरों की इस भव्यता, सुंदरता और प्राचीनता को देखते हुए ही इन्हें विश्व धरोहर में शामिल किया गया है।

कामसूत्र में वर्णित अष्ट मैथुन का सजीव चित्रण खजुराहो के सभी मंदिरों की दीवारों पर दिखाई देता है। खजुराहो में नंदी मंदिर ,सूर्य मंदिर, पार्वती मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, देवी जगदंबा मंदिर ,विश्वनाथ मंदिर कंदरिया मंदिर आदि जैसे कुल 22  मंदिरों का समूह हैं। 22 मंदिरों में से एक कंदारिया महादेव का मंदिर काम शिक्षा के लिए मशहूर है।कंदरा के समान प्रतीत होते इसके प्रवेश द्वार के कारण इसका नाम कंदारिया महादेव  मंदिर पड़ा हैं। खजुराहो के मंदिर अपनी कामुक, सम्भोगरत और नग्न मूर्तियों के कारण ये विश्व प्रसिद्ध है।
 
इस शानदार खजुराहों के मंदिर के अंदर लगभग 246 कलाकृतियां हैं जबकि 646 कलाकृतियां बाहर हैं। जिनमें ज्यादातर कलाकृतियां कामुकता को प्रदर्शित करती हैं। इसकी बेहद खास कलाकृतियों की वजह से खजुराहों के मंदिर की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान है। हर साल यहां पर लाखों सैलानी घूमने के लिए आते हैं।
 
यहां के हर सैलानी के मन में यह प्रश्न आता है कि इन मूर्तियों को ऐसा क्यों बनाया गया है? अलग-अलग विश्लेषकों ने अपनी राय रखीं परंतु उनमें से कुछ मान्यताएं हम आपको बता रहे हैं लेकिन इसी के साथ हम आपको यह भी बताना चाहेंगे कि इन मान्यताओं की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

1. प्राचीन काल में ज्यादातर सभी लोग मंदिर जाते थे इसलिए संभोग की शिक्षा देने के लिए मंदिरों को उपयुक्त समझा गया। लोग यहां पर आएंगे और इन कामुक आकृतियों को देख लोगों को संभोग की सही शिक्षा मिलेगी।

2. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि जब खजुराहो के मंदिरों का निर्माण हो रहा था तब बौद्ध धर्म का प्रसारण बड़ी तेजी से हो रहा था और हिंदू धर्म पीछे हटता जा रहा था। तो चंदेल के शासकों ने हिंदू धर्म का अस्तित्व बचाने के लिए इन मंदिरों के बाहर नग्न और संभोग की अवस्था में मूर्तियां बनाई। ताकि लोग इसे देखकर मंदिरों के अंदर भगवान के दर्शन करने आएं । इससे हिंदू धर्म को भी बढ़ावा मिलेगा।

कैसे पहुंचे इन खजुराहो के मंदिर तक
खजुराहो जाने के लिए आप अपनी सुविधा के अनुसार प्लेन या रेल की यात्रा ले सकते हैं। शहर से 3 किलोमीटर दूर खजुराहो एयरपोर्ट है और शहर में खजुराहो रेलवे स्टेशन है इसलिए बिना किसी परेशानी के आप आसानी से इन मंदिरों तक पहुँच सकते हैं।