उत्तराखंड का खूबसूरत तीर्थ स्थल कालापानी, जानिए क्या है इसका इतिहास?

कालापानी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित एक खूबसूरत क्षेत्र है। अमूमन काला पानी का नाम कई ऐतिहासिक घटनाओं में लिया जा चुका है। इतिहास में कालापानी नाम की क्रूर सजा होती थी। फिल्मी जगत में भी काला पानी का नाम बेहद प्रचलित रहा 1958 में आनंद साहब की फिल्म काला पानी पर्दे पर देखने को मिली थी। अमूमन काला पानी का नाम सुनते ही लोगों के मन में फिल्में और क्रूर सजाओं की व्यथा उमडने घुमडने लगती है। 

आज हम जिस कालापानी की बात कर रहे हैं वह इन काला पानी से भिन्न है। यह कालापानी विशाल दर्रे और पहाड़ियों के बीच स्थित है। यह उत्तराखण्ड राज्य के पिथौरा जिले का एक खूबसूरत नमूना है। आइए जानते हैं इस काला पानी के बारे में विस्तार से, यह कहाँ स्थित है.? इसका इतिहास क्या है? इन सभी प्रश्नों के उत्तर को विस्तार से समझते हैं।

कालापानी 
कालापानी आस्था का प्रतीक भारतीयों का एक बेहद ही खूबसूरत तीर्थस्थल है।यह भारत के खूबसूरत राज्य उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित पूर्वी कोने का एक क्षेत्र है। यह पिथौरागढ़ से 110 किलो मीटर दूर है। यहां रीति रिवाज के भी बहुलता देखने को मिलती है। यहाँ 'रं' समुदाय के लोग अस्थि विसर्जन  करते है। 

सबसे रोचक बात यह है कि यह क्षेत्र 11788 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।काला पानी से जुड़ी कई मान्यताएं जो आज भी मानी जाती है, इस क्षेत्र को ही भारत काली नदी का उद्गम स्थल आज भी मानता है। यहां आईटीबीपी द्वारा सहस्त्र चंडी माता काली के मंदिर का भी निर्माण किया गया है। इस मंदिर का ख्याल और इसका संपूर्ण देखभाल आईटीबीपी द्वारा ही किया जाता है।

मुख्य आकर्षण 
काला पानी में स्थित आस्था का प्रतीक काली मंदिर के गर्भगृह से काली नदी का उद्गम होता है। गर्भगृह से निकली यह काली नदी कालापानी से भारत और नेपाल दोनों देशों का सीमांकन करती है। यह काली अपनी वेग से  बढ़ते हुए आगे चलकर टनकपुर में यह शारदा नदी बन जाती है। 

सबसे गर्व की बात यह है कि यहां भारत की सुरक्षा एजेंसियां हर समय मुस्तैद रहती है। यह क्षेत्र सीमा की सुरक्षा से संबंधित बेहद महत्वपूर्ण है। यहां सीमा सुरक्षा के लिए सेना के साथ आइटीबीपी और एसएसबीपी सदैव तैनात रहते हैं। 1962 में हुए भारत चीन युद्ध के दौरान बनाए गए बंकर आज भी दिखाई पड़ते हैं। 

सबसे रोचक जानकारी और ध्यान देने वाली बात यह है कि इस आधुनिक समय में भी यहाँ संपूर्ण क्षेत्र में संचार की कोई सुविधा नहीं उपलब्ध है। यहां की सुरक्षा एजेंसियों के पास वायरलेस या सैटेलाइट फोन अवश्य रहता है। काला पानी आस्था के साथ साथ पहाड़ी खूबसूरती से बेहद सुंदर लगता है। यह बात पता होना चाहिए कि कालापानी से चीन की दूरी मात्र 12 किलोमीटर है।
 
इस क्षेत्र के नजदीक चीन नाभीढांग है। पर्वत की खूबसूरती और आस्था का प्रतीक मंदिरों यहां आए पर्यटकों का मन मोह लेती है।इस बात की जानकारी होना बेहद जरूरी है कि  प्रसिद्ध पर्वत ओम पर्वत भी यही मौजूद है। सुरक्षा बल के दृष्टि से देखें तो यह जगह विशेष अहम योगदान रहता है।

इतिहास 
कालापानी का इतिहास  बहुत रोचक है। भारतीय इतिहास के अनुसार 1815 में जब ब्रिटिश सेनाओं का युद्ध गोरखाओं से हुआ था। गोरखाओं द्वारा इस युद्ध में इस इलाके को जीत लिया गया था। मूलतः यह स्थान नेपाल के पश्चिमी सिरम सीमाई इलाके में आता है। इसके बाद यह क्षेत्र भारतीय भूमि का हिस्सा बन गया था।
 
उसी समय ब्रिटिश सरकार और नेपाल सरकार के बीच सुगौली नामक एक संधि की गई थी। संधि के बाद नेपाल के महाराजा ने ये इलाका ब्रिटिश भारत को सौंप दिया था। इसका इतिहास भी इसकी खूबसूरती की तरह बेहद खूबसूरत है। काला पानी जैसे खूबसूरत तथ्यों में सहेजा हुआ यह क्षेत्र पहाड़ की वादियों से ढका हुआ है।

कालापानी क्षेत्र में विवाद 
कालापानी एक विशाल क्षेत्र है यह स्थान 372 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां  पड़ोसी देश चीन और नेपाल और भारत के साथ सीमा मिलती है। वहीं भारत इस क्षेत्र को उत्तराखंड का हिस्सा मानने का है। वहीं बात करें नेपाल की तो वह इसे अपने नक्शे में दर्शाया है।

तापमान 
कालापानी न्यूनतम तापमान वाला क्षेत्र है। यहां पर्वतों के उपस्थिति के कारण गर्मियों के दिनों में कम गर्मियां लगती हैं। यहां ठंडी जमकर बढ़ती है माना जाता है कि यहां पर्यटकों का खून भी जमने जैसा प्रतीत होने लगता है।यहां पहाड़ों की वादियों में सफेद चादर से ढकी पहाड़ियों की चोटियां बेहद खूबसूरत और मनभावनी हैं। यहां का पारा नकारात्मक यानी माइनस में भी चला जाता है, यहां की बर्फबारी तो रोचक है।