पूरी के जगन्नाथ मंदिर के रहस्यों के आगे साइंस भी है फेल, दर्शन के समय इन बातों पर ध्यान दीजिये

चार धामों में से एक पूरी का श्री जगन्नाथ मंदिर भारत के ओडिशा राज्य के पुरी में विष्णु के अवतार जगन्नाथ को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर माना जाता है यह मंदिर भारत के तीर्थ स्थलों में से विशेष और बहुत महत्वपूर्ण है इस मंदिर का निर्माण 12 वीं शताब्दी में गंगा वंश के राजा अनंतवर्मन चोडगंगा द्वारा किया गया था इस मंदिर की देखरेख और इसका संचालन श्री  जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति द्वारा किया जाता है। इस मंदिर में 3 देवी-देवताओं की तिकड़ी जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की पूजा होती है यह मंदिर सभी हिंदुओं और विशेष रूप से वैष्णव लोगों के लिए पवित्र  माना जाता है क्योंकि जगन्नाथ भगवान विष्णु के ही रूप थे पुरी का जगन्नाथ मंदिर अपनी वार्षिक रथ यात्रा या रथ उत्सव के लिए प्रसिद्ध है साल के चारों मासों में यहां पर अलग-अलग जगहों से आए भक्तों की कतारें लगी रहती हैं

अपनी खूबसूरती और विशेषताओं से प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर अपने आप में कुछ रहस्यों के लिए भी जाना जाता है जो किसी भी वैज्ञानिक व्याख्या को परिभाषित नहीं करते हैं। यहां के स्थानीय निवासियों का मानना है कि ये रहस्य वास्तव में भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद है। तो क्या सच में यह भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद है या कोई जादू? आज हम आपको बताएंगे इस जगन्नाथ मंदिर के उन रहस्यमयी पहलुओं और कहानियों के बारे में जिसकि सच्चाई आज तक कोई नहीं जान पाया जिसके आगे हमारा विज्ञान भी परास्त है

1. भारत के लगभग सभी हिंदू मंदिरों में जो भगवान की मूर्ति या जो शिलाएं होती हैं वह पत्थर या किसी धातु की बने हुए होते हैं परंतु जगन्नाथ मंदिर में जगन्नाथ की छवि एक  नीम की लकड़ी से बनी है और  वह अपने आप ही विखंडित हो जाती है हर 12 या 19 वर्षों में उसी आकार की लकड़ी से उसे बदल  दिया जाता है

2. आपने हमेशा यह देखा होगा कि कोई भी पत्ता या कोई भी चीज जब हवा में होती है तो वह उस दिशा में जाती है जिस दिशा में हवा चल रही होती है परंतु जगन्नाथ मंदिर के ऊपर जो ध्वज पताका या झंडा है वह हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहरता है यह दर्शाता है कि विज्ञान की शक्ति के आगे एक और प्रबल शक्ति है

3. जगन्नाथ मंदिर के ऊपर एक 20 फीट ऊंचा सुदर्शन चक्र  लगा हुआ है इसमें दिलचस्प बात यह है कि आप पूरे पुरी शहर में किसी भी कोने और किसी भी दिशा से इस चक्र को देख सकते हैं इसमें एक रहस्य है कि आप किसी भी दिशा से इस चक्र को देखें या जिस किसी दिशा में भी खड़े होकर इस चक्र को देखते हैं तो आपको ऐसा प्रतीत होगा कि जैसे चक्र हमेशा आपकी ओर देख रहा हो

4. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मंदिर के ऊपर से कोई भी चिड़िया पक्षी यहां तक कि कोई विमान भी जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से नहीं उड़ता है और ना ही कोई चिड़िया इस मंदिर के ऊपरी छोर पर बैठती है इसके पीछे कुछ दिव्य शक्ति मानी जाती है कि भगवान जगन्नाथ के ऊपर कोई नहीं है इस घटना का भी स्पष्ट रूप से कोई स्पष्टीकरण नहीं है। यह अभी भी एक रहस्य बना हुआ है।

5. हर चीज की एक परछाई होती है जब कभी भी धूप या किसी चीज की रोशनी किसी चीज पर यह मनुष्य पर पड़ती है तो उसकी परछाई बन जाती है परंतु जगन्नाथ मंदिर की संरचना ऐसी है कि यहां पर दिन के किसी भी समय छाया नहीं  होती मंदिर के गुंबद पर धूप पड़ने के बावजूद भी इसकी कोई परछाई नहीं बनती इस चमत्कार के लिए भी ईश्वरीय बल को जिम्मेदार ठहराया गया है

6.जगन्नाथ मंदिर में मुख्य चार दरवाजे हैं, और सिंघाधाम द्वार मंदिर में प्रवेश का मुख्य द्वार है। जब आप सिंधद्वारम के माध्यम से प्रवेश करेंगे तो आप स्पष्ट रूप से तरंगों की आवाज़ सुन सकते हैं लेकिन एक बार जब आप उसी द्वार से बाहर निकलेंगे  और दोबारा से मोड़ लेकर उसी दिशा में वापस चलें तो अब तरंगों की आवाज़ नहीं सुनाई देगी। जब तक आप मंदिर के अंदर होंगे तब तक आपको तरंगों की आवाज नहीं सुनाई देगी।  इसके पीछे भी एक कहानी है की सुभद्रा ने मंदिर के द्वार के भीतर शांति की कामना की थी ताकि वह आराम से बिना किसी शोर के ध्यान लगा सकें और भगवान कृष्ण ने उनकी यह इच्छा पूरी की

7.   दुनिया में कहीं भी चले जाइए किसी भी समुद्र के किनारे आपने यह देखा होगा कि दिन के समय समुद्र की लहरें पानी से जमीन पर आती हैं और  संध्या होने के बाद पानी की लहरें जमीन से वापस समुद्र में जाती हैं परंतु हालांकि पुरी में भौगोलिक कानून भी उलटा है, वहां दिन में लहरें जमीन से समुद्र में जाती हैं और संध्या के बाद लहरें समुद्र से जमीन पर आती हैं

8. हर दिन एक पुजारी मंदिर के ऊपर लगे ध्वज को  बदलने के लिए 45 मंजिला इमारत जितना ऊंची  चढ़ाई करता है यह अनुष्ठान 1800 वर्षों से चल रहा है। ऐसा माना जाता है यदि यह अनुष्ठान कभी छूट जाता गया तो मंदिर अगले 18 वर्षों तक बंद रहेगा

9.आपने कुछ मंदिरों में सुना हुआ कि  प्रसाद बच जाता है लेकिन जगन्नाथ मंदिर में कुछ भी व्यर्थ नहीं जाता।रिकॉर्ड बताते हैं कि मंदिर में  रोज 2,000 से 20,000 भक्त दर्शन करते हैं लेकिन मंदिर में पकाया जाने वाला प्रसादम की मात्रा पूरे साल एक जैसी रहती है। फिर भी प्रसादम कभी भी बर्बाद नहीं होता है या किसी भी दिन अपर्याप्त नहीं होता है।

10. जगन्नाथ मंदिर में प्रसाद बनाने के लिए 7 बर्तनों का उपयोग किया जाता है और उन्हें एक दूसरे के ऊपर रखा जाता है।यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि सबसे ऊपरी बर्तन की सामग्री पहले पक जाती है  और उसके बाद आखरी में नीचे के बर्तन  की हालांकि जलाई गई लकड़ी सबसे नीचे रखी जाती है फिर भी सबसे पहले ऊपर वाले बर्तन में सामग्री तैयार हो जाती है