तांत्रिक यूनिवर्सिटी की नकल पर बनाया गया है भारतीय संसद भवन, जानिए क्या है पूरी कहानी

भारत प्राचीन कलाकृतियों में सुमार आस्था व पर्यटन का धनी देश है। यहां की मिट्टी के कण कण में प्राचीन कलाकृतियां पाक साफ झलकती रहती हैं। इन्हीं प्राचीन प्रसिद्ध कलाकृतियों में एक है भारत की संसद जिसका दीदार करने भारत ही नहीं अपितु विदेशों से भी बड़े पैमाने पर लोग आया करते हैं। परंतु किसी को यह नहीं ज्ञात है कि इस संसद की संरचना की कला की प्रेरणा कहाँ से मिली है।

माना जाता है कि मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर से भारतीय संसद की वास्तुकला प्रेरित है। माना जाता है कि देश के संसद भवन की डिजाइन इसी मंदिर से प्रेरित होकर बनाया गया है। ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस ने इस मंदिर को आधार मनाकर दिल्ली के संसद भवन का निर्माण करवाया था। जिसकी चर्चा ना तो किताबों कहीं है और ना ही संसद की वेबसाइट पर है। मंदिर न केवल बहार से संसद भवन से मिलता जुलता है बल्कि अंदर का वैसा ही ढ़ांचा है।


मंदिर का प्राचीन इतिहास
700 वर्ष पुरानी यह मंदिर मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के मोतवली गांव में स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 200 सीढ़ियों का सफर तय करना पड़ता है। 64 कमरों की यह मंदिर वृत्तीय आकार पर निर्मित हैं। मंदिर के मध्य में खुला हुआ एक मंडप है। हर कमरे में एक-एक शिवलिंग बना हुआ है। मंदिर के मध्य में एक खुला हुआ मण्डप है, जिसमें एक विशाल शिवलिंग है। यह मंदिर 1323 ई में बना था। इस मंदिर का निर्माण क्षत्रिय राजाओं ने करवाया था। तांत्रिक यूनिवर्सिटी के नाम से प्रचलित यह मंदिर तांत्रिक विद्या ग्रहण करने के लिए लोगों का जमावड़ा लगा रहता था। यह मंदिर  इंकतेश्वर महावीर के नाम से भी जाना जाता है। आज भी कुछ तांत्रिक, सिद्धियां प्राप्त करने के लिए यज्ञ करते हैं।170 फीट परिधि में फैला हुआ है और इसमें 100 से ज्यादा पत्थर के खंभे हैं। देख रेख में अभाव होने के कारण कुछ चोरी हो गई बची हुई शेष प्रतिमाओं को दिल्ली के म्यूजियम में रखा गया है।
चौसठ योगिनी मंदिर और तांत्रिक यूनिवर्सिटी
माना जाता है कि पुराने समय में इस प्रसिद्ध मंदिर में तांत्रिक की विद्या सिखाई जाती थी और यही कारण है कि इसे तांत्रिक यूनिवर्सिटी के नाम से भी जाना जाता था। मंदिर में देवी दुर्गा का वास और भगवान शिव के शिवलिंग होने के कारण यहां पूजा पाठ, अर्चना भी की जाती थी। स्थानीय निवासी मानते हैं कि मंदिर आज भी शिव की तंत्र साधना की कवच से ढका हुआ है। यहां न तो सिर्फ इंसानों को बल्कि पशु पक्षियों को भी रात में रुकने की इजाजत नहीं है। शिव के योनियों को जागृत करने के लिए ये मंदिर प्रसिद्ध थी।


भारतीय संसद का डिजाइन चौसठ योगिनी मंदिर से प्रेरित
भारतीय संसद किसी भी देश में बेहतरीन वस्तुकला का शानदार नमूना है। मध्य प्रदेश के मुरैना जिले स्थित चौसठ योगिनी मंदिर के ढांचे के नकल से प्रेरित होकर भारतीय संसद का निर्माण किया गया। इसका डिजाइन अंग्रेज सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट  बेकर द्वारा किया गया था।12 फरवरी 1921 को देश के संसद  निर्माण की नींव रखी गई। बेहतरीन कारीगिरी और वास्तुकला का यह नमूना जनवरी 1927 में बनकर तैयार हुआ।अधीन भारत के गवर्नर लॉर्ड इर्विन ने इसका उद्घाटन किया था। बेहतरीन कारीगिरी और देश के आकर्षित भवनों में शुमार भारतीय संसद कड़ी मशक्कत के बाद भी बनने में छह वर्ष का समय लगा। 6 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। इस भवन में 12 दरवाजे हैं, और हल्के पीले रंग के 144 खंभे लाइन से लगे हैं। हर एक खंभे की ऊंचाई 27 फीट है।


भारतीय संसद के संरचना की नीव रखने वली मंदिर की वर्तमान हालत
भारतीय संसद की सुन्दरता और इसकी आकर्षक छवि को बरकरार रखने के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपये व्यय किए जा रहे हैं। परंतु भारतीय संसद की संरचना की नीव रखने वाली मध्य प्रदेश के चौसठ योगिनी मंदिर आज खंडहर होने की कगार पर हैं। मजबूती और आकर्षक मिसाल की पर्याय इस मंदिर के खंभे और शिवलिंग आज भी पहले के भांति हैं। वर्तमान समय में इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको टूटी फूटी रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। इससे साफ है कि इस मंदिर के रखरखाव के लिए किसी भी सरकार द्वारा पैसे नहीं खर्च किए जा रहे हैं।