राजपूताना वीरता और बलिदान का गवाह राजस्थान का चित्तौड़गढ़ शहर, पढ़ें इसके बारे में

राजपूतों की धरती कहे जाने वाला राजस्थान अपने प्राचीन किलों, महलों और शाही घरानों के लिए जाना जाता है। राजस्थान में कई ऐसी जगहें है जो राजस्थान के राजपूताना इतिहास को आज भी अपने अंदर समेटे हुए हैं। ऐसा ही एक शहर है राजस्थान का चित्तौडगढ़। चित्तौड़गढ़ की नींव मौर्य शासक चित्रांगदा मोरी द्वारा रखी गई थी। इस शहर का इतिहास महाभारत काल जितना पुराना है। कहा जाता है कि इस शहर की खोज पांडु पुत्र भीम ने की थी। चित्तौड़गढ़ शहर राणा कुंभा, राणा साँगा, महाराणा प्रताप, राणा रतन सिंह, रानी पद्मिनी सहित राजपूत वंशों के शासकों के लिए जाना जाता है। आज के इस लेख में आपको चित्तौड़गढ़ के प्रमुख पर्यटक स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं -  

चित्तौड़गढ़ का किला
चित्तौड़गढ़ का किला उत्तर भारत के सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक किलों में से एक है। यह किला राजपूत वंशों की वीरता और बलिदान की कहानियों के साथ यहां आज भी खड़ा हुआ है। चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान के सबसे पर्यटक स्थलों में से एक है। यह किला चारों ओर से बड़ी-बड़ी चट्टानों से घिरा हुआ है और भारत के सबसे बड़ा किला माना जाता है। 700 एकड़ में फैले इस किले की लंबाई लगभग 3 किलोमीटर है। किले के मुख्य भाग में पहुँचने के लिए सात दरवाजों को पार करना पड़ता है। इस किले के अंदर ही कई महल, मंदिर व अन्य रचनाएँ स्थापित हैं।

महा सती
महा सती चित्तौड़गढ़ से करीब 110 किलोमीटर दूर स्थित है। यह चित्तौड़गढ़ का एक बहुत ही पवित्र स्थान माना जाता है क्योंकि यहां पर उदयपुर के शासकों का अंतिम संस्कार किया जाता था। यह एक बहुत की सुंदर और शानदार संरचना है जो यहाँ आने वाले पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। यहां एक जलाशय के कारण यह माना जाता है कि इससे गंगा नदी का पानी निकलता है। यहां अहर सेनोटाफ में 19 राजाओं का स्मरण करने के लिए 19 छत्रियाँ हैं जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया था।

गौमुख कुंड
गौमुख कुंड, चित्तौड़गढ़ किले के भीतर स्थित सबसे महत्वपूर्ण जलाशयों में से एक है। यह जलाशय देखने में गाय के मुंह के आकार का है इसलिए इसका नाम गौमुख कुंड रखा गया है। इसे चित्तौडगढ़ के तीर्थराज के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि जब भी कोई तीर्थयात्री हिंदू आध्यात्मिक स्थानों के दौरे पर जाते हैं तो वे लौटने के बाद अपनी यात्रा को पूरा करने के लिए इस पवित्र गौमुख कुंड में आते हैं। यहाँ की हरियाली और शुद्ध वातावरण यहाँ आने वाले पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।

राणा कुंभ महल
चित्तौड़गढ़ की एक ऐसी खास जगह है जहाँ पर राणा कुंभा रहते थे और उन्होंने अपना शाही जीवन बिताया था। इस महल का आकर्षण और कलात्मक वास्तुकला चित्तौड़गढ़ घूमने के लिए आने वाले पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। राणा कुंभ महल के पास भगवान शिव का एक मंदिर और यहाँ परिसर का लाइट एंड साउंड शो पर्यटकों की यात्रा को बेहद यादगार बनाता है।

मीरा मंदिर
चित्तौड़गढ़ किले के परिसर में स्थित मीरा मंदिर कृष्ण भक्त मीरा बाई को समर्पित है। मीराबाई एक राजपूत राजकुमारी थी, जिनका जन्म राजस्थान के पाली में हुआ था। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण राजपूत राजा महाराणा कुंभा ने अपने शासन काल के समय करवाया था। इस मंदिर में आकर तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को बेहद शांति का अनुभव होता है।

विजय स्तम्भ
विजय स्तम्भ का निर्माण मेवाड़ के राजा राणा कुंभा ने 1448 में महमूद खिलजी पर अपनी जीत के जश्न के रूप में करवाया था। विजय स्तम्भ को विजय टॉवर के रूप में भी जाना जाता है। इस स्तम्भ की खासियत है कि यह इतना बड़ा और लंबा है कि इसे देश के किसी भी हिस्से से देखा जा सकता है इसलिए यहां से पूरे शहर को देखा जा सकता है। हिन्दू देवी-देवताओं की बारीकि से बनी मूर्तियाँ और खूबसूरत राजस्थानी वास्तुकला वाला ये स्तंभ चित्तौड़गढ़ के सबसे मशहूर पर्यटक स्थलों में से एक है।