लैंड ऑफ निजाम हैदराबाद की खूबसूरत स्मारक चारमीनार, जाने क्या है इसका इतिहास

भारत ऐतिहासिक वास्तुकला और प्राचीन धरोहर के लिए पहचाना जाता है। भारत के आकर्षण केंद्रों में कई ऐसी ऐतिहासिक धरोहर है जो भारतीय इतिहास को अधिक गौरवशाली बनाती है। प्राचीन काल की कई ऐसी खूबसूरत इमारतें है जो 100 साल से भी अधिक पुरानी है। इन्हीं खूबसूरत इमारतों में एक चारमीनार। अमूमन 400 वर्ष से भी अधिक पुराना यह ऐतिहासिक धरोहर आज भी अपने कला और सौंदर्य के आकर्षण से विश्व प्रसिद्ध है। आइए जानते हैं हैदराबाद में स्थित चार मीनार से जुड़ी कई रोचक जानकारियां।

चारमीनार का परिचय

चारमीनार हैदराबाद में स्थित है। लैंड ऑफ़ निज़ाम से मशहूर हैदराबाद का यह ऐतिहासिक स्मारक है। इस ऐतिहासिक धरोहर का निर्माण सन 1591 में पांचवें कुतुब शाही निजाम शासक मोहम्मद कुली कुतुब शाह द्वारा कराया गया था। ऐतिहासिक जानकारी के अनुसार माना जाता है कि मोहम्मद कुली कुतुब शाह हैदराबाद को एक अलग पहचान देने के लिए इस ऐतिहासिक स्मारक चार मीनार का निर्माण करवाया था। इस ऐतिहासिक स्मारक का निर्माण 400 वर्ष से भी अधिक पहले किया गया था, परंतु इसके वास्तुकला की खूबसूरती का गुणगान आज भी प्रमुखता से किया जाता है। हैदराबाद शहर को खास पहचान दिलाने और चौमुखी विकास के लिए के लिए पर्शियन आर्किटेक्ट को बुलाया गया था। इसी दौरान हैदराबाद शहर को मस्जिद, मदरसे के निर्माण से पूरी तरह सजा दिया गया था।

चारमीनार की बढ़ती लोकप्रियता

चारमीनार हैदराबाद शहर को वैश्विक पहचान दिलाने में सफल है। आज चारमीनार का दीदार करने देश विदेश से सैलानियों का झुंड आता रहता है। इंडो इस्लामिक आधारभूत की संरचना से निर्मित चारमीनार गोलकुंडा बाजार से जुड़ा हुआ है। चारमीनार हैदराबाद के केंद्र में स्थित है। पुराने हैदराबाद शहर का निर्माण चारमीनार की वजह से ही किया गया था। चारमीनार ग्रेनाइट और चूने के मोर्टार से निर्मित एक चौकोर आकार की संरचना है। स्मारक में मुख्य रूप से एक इस्लामिक शैली की डिजाइन है, लेकिन इसके अलंकरण में हिंदू वास्तुकला के प्रभाव भी देखे जा सकते हैं। यह हर कोने पर चार मीनारों से घिरा हुआ है जो 48.7 मीटर ऊंचे हैं। ऐसा माना जाता है कि चार मीनारें इस्लाम के पहले चार खलीफाओं की प्रतीक हैं। प्रत्येक मीनार चार मंजिला है और इसके चारों ओर सुंदर नक्काशीदार छल्ले द्वारा फर्श को विभाजित किया गया है। मस्जिद शीर्ष मंजिल पर स्थित है और आगंतुक वहां पहुंचने के लिए 149 सीढ़ियों की एक छोटी चढ़ाई का आनंद ले सकते हैं।इतिहास से मिली जानकारी के मुताबिक यह माना जाता है कि चारमीनार के चारों खंभे इस्लाम से पहले खलीफा के प्रतीक माने जाते है। चारमीनार विशिष्ट रिंग से चिन्हित किया गया है, जिसे बाहर से देखा जा सकता है। 11 मीटर चौड़ा और 20 मीटर ऊंचा वक्र मीनार के हर तरफ बना हुआ है।1889 में बनाई गई घड़ी मीनारों के हर वक्र पर लगाई गई है।

चारमीनार की धूमिल होती तस्वीर

यह ऐतिहासिक धरोहर 400 वर्ष से भी अधिक पुराना है। जिसके कारण दिन प्रतिदिन इसका आकर्षण कम होता जा रहा है, जिसमें मुख्य कारण स्मारक के आसपास फैले वाहन प्रदूषण और मीनार का दीदार करने आने वाले सैलानियों की सेल्फी चाहत है। स्मारक की चमक धीरे-धीरे फीकी पड़ती जा रही है। चारमीनार का दीदार करने आए लोग इसके बालकनी में खड़े होते हैं जिसके कारण मीनार को काफी क्षति होती है। स्मारक की खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए सरकार इस पर नजर बनाए हुए है। मीनार की खूबसूरती को बचाने के लिए तेलंगाना सरकार ने भी एक कदम आगे बढ़ाया है। सरकार ने स्मारक के संरक्षण के लिए आसपास मौजूद करीब 200 मीटर के दायरे में नो व्हीकल जोन बनाने की कोशिश में जुट चुकी है। जिससे स्मारक की संरचना पर पड़ने वाली दरारे कम हो जाएंगी क्योंकि इन दरारों का मुख्य कारण प्रदूषण ही है। भारतीय पुरातत्व विभाग मीनार के मौजूदा हालत को देखते हुए नए इंतजाम में है। प्रदूषण के कारण मीनार पलस्तर की परतें भी उखड़ने लगे हैं और कई जगह तो छोटे-छोटे चित्र भी दिखते हैं।

बचाव कार्य जारी

नवंबर 2017 में पुरातत्व विभाग एक अफसर से मिली जानकारी के मुताबिक सेल्फी के लिए बालकनी में जाने वाले लोगों पर रोक लगा दी गई है। अब बालकनी में जाने पर पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। वर्ष 2017 के नवंबर महीने में चारमीनार की मरम्मत चुने, प्लास्टर रेत, गुड अंडे और संगमरमर पाउडर से मरम्मत की गई थी। ग्रेनाइट की संरचना को लेकर यह बात सामने आई कि रडार स्कैनिंग के तहत यह पता लगाया जा चुका है कि मीनार के भीतर के ग्रेनाइट बिल्कुल ठीक है।

चारमीनार से जुड़ी अन्य रोचक जानकारियां

1.चारमीनार को इसकी वास्तुकला के कारण ’आर्क डी ट्रायम्फ ऑफ द ईस्ट’ के रूप में भी जाना जाता है। यह पेरिस के प्रसिद्ध आर्क डी ट्रायम्फ के रूप में प्रभावशाली है।

2.लोकप्रिय मान्यताओं के अनुसार, चारमीनार के चार मीनार इस्लाम के चार खलीफा या पैगंबरों का प्रतिनिधित्व करने के लिए बनाए गए थे।

3.यह माना जाता है कि यहां एक भूमिगत सुरंग मौजूद है जो गोलकुंडा किले से चारमीनार को जोड़ती है और शहर की घेराबंदी में आने पर शाही परिवार के लिए एक भागने का मार्ग था।

4.इस शानदार स्मारक के लिए श्रद्धांजलि के रूप में, लिंड्ट चॉकलेट चॉकलेट एडेलबर्ट बाउचर ने 2010 में चॉकलेट का उपयोग करके अपनी प्रतिकृति बनाई, जिसका वजन लगभग पचास किलोग्राम था।

5.1687 में, जब मुगल सम्राट औरंगजेब ने शहर पर आक्रमण किया तो उसने अधिकांश इमारतों को नष्ट करने का आदेश दिया था। लेकिन इसकी सबसे ऊपरी मंजिल पर स्थित मस्जिद के कारण चारमीनार को बख्श दिया गया था।

6.एक ट्रेन है जिसे चारमीनार के नाम पर रखा गया है - चारमीनार एक्सप्रेस - जो चेन्नई और हैदराबाद के बीच संचालित होती है।