करें इन 12 ज्योतिर्लिंग की यात्रा, होगी मोक्ष की प्राप्ति

हिंदू धर्म में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का बहुत महत्व है। देश के अलग-अलग स्थानों पर स्थित भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग अपनी देश की एकता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हिंदू धर्म की माने तो जो व्यक्ति 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर लेता है उसके सभी संकट और बाधाएं दूर हो जाती है, और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। हिन्दू मान्यता के अनुसार भगवान शिव शंकर ने जिन 12 स्थानों पर अवतार लेकर अपने भक्तों को दर्शन दिए उन जगहों पर इन ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गई।

जब आप ज्योतिर्लिंग शब्द को तोड़ते हैं तो पहले शब्द “ज्योति” बन जाता है जिसका अर्थ है “चमक” और “लिंग” भगवान शंकर के स्वरूप को प्रकट करता है। ज्योतिर्लिंग का सीधा अर्थ भगवान शिव के प्रकाशवान दिव्य रूप से ही है। इन ज्योतिर्लिंग को शिव का अलग रूप माना जाता है। 

अगर आप भी इन ज्योतिर्लिंग की यात्रा शुरू करने की योजना बना हैं तो हम आपको इस लेख में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग से जुड़ी साती जानकारी देंगे। तो चलिए जानते हैं 12 ज्योतिर्लिंग कहां कहां है और किस नाम से जाने जाते है।

1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात

गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थिति सोमनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। सोमनाथ मंदिर को पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना गया है। शुरूआत से ही सोमनाथ मंदिर हिंदू धर्म के उत्थान और पतन के इतिहास का प्रतीक रहा है। सोमनाथ देश के सबसे अधिक पूजे जाने वाले तीर्थस्थलों में से एक है।

सोमनाथ कैसे पहुंचे 

सीधे सोमनाथ तक पहुचाने वाली बहुत कम ट्रेन है। ज्यादातर ट्रेन सोमनाथ के नजदीक वेरावल स्टेशन पर रूक जाती हैं, जो सोमनाथ से 7 किमी की दूरी पर स्थित है। अगर आपके शहर से वेरावल के लिए भी कोई ट्रेन न मिले तो अच्छा ऑप्शन है अहमदाबाद जाना। यहां से आपको सोमनाथ के लिए ट्रेन मिल जाएगी। बता दें कि सोमनाथ स्टेशन से मंदिर की दूरी मात्र 8 किमी की है। सोमनाथ मंदिर पहुचने के लिए आप यहां से ऑटो बुक कर सकते हैं। 

सोमनाथ जाने का सही समय 

सोमनाथ मंदिर जाने के लिए अक्टूबर से मार्च तक को समय को सबसे अच्छा माना जाता है। इन महीनों में यहां का तापमान सहज होता है और दर्शनीय स्थलों को देखने के लिए भी उपयुक्त होता है।

2. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का मंदिर गोमती द्वारका और बैत द्वारका के बीच गुजरात में सौराष्ट्र के तट पर स्थित है। कथा के अनुसार नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को इस धरती का सबसे शक्तिशाली 12 ज्योतिर्लिंग मै से एक माना गया है। आपको बता दे की नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा 25 मीटर ऊंची है। बड़े बगीचे और नीले सागर का अबाधित दृश्य पयर्टकों को मोहित कर देता है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर समय

नागेश्वर मंदिर के पट हर सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक खुले रहते हैं। भक्त सुबह 6 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक और शाम को 5 से रात 9 बजे तक नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर सकते हैं। 

कैसे पहुंचे नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात

नागेश्वर पहुचंने के लिए सबसे पहले ट्रेन से आपको द्वारिका जाना होगा और अगर फ्लाइट से जा रहे हैं तो पहले आपको जामनगर जाना होगा, यहां हवाई अड्डे से द्वारका नजदीक है। द्वारका से नागेश्वर की दूरी मात्र 24 मिनट की है। द्वारका पहुंचने के बाद आप आसानी से ऑटो रिक्शा और कैब के जरिए यहां पहुंच सकते हैं। 

3. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पांच ज्योतिर्लिंग मै से एक है, 12 ज्योतिर्लिंग मै से महाराष्ट्र पुरे 5 ज्योतिर्लिंग है। भीमाशंकर मंदिर महाराष्ट्र के पुणे जिले से 110 किमी दूर स्थित है, जिसे भीमाशंकर को मोटेश्वर मंदिर नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दे की यह मंदिर सुहाद्रि नामक पर्वत पर स्थित है।

भीमाशंकर में दर्शन करने का समय

भीमाशंकर मंदिर हर रोज सुबह 4:30 बजे से दोपहर 12 बजे और शाम को 4 बजे से रात 9:30 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है। 

भीमाशंकर कैसे पहुंचे

भीमाशंकर पहुंचने के लिए कई रस्ते है जैसे अगर आप ट्रेन से भीमाशंकर जाना चाहते हैं तो पहले आपको पुणे स्टेशन तक जाना होगा। पुणे से भीमाशंकर की दूरी मात्र 110 किमी है। अगर आप फ्लाइट से जाना चाहते हैं तो पुणे हवाई अड्डा सबसे पास है, जहां से भीमाशंकर की दूरी 125 किमी है। अगर आप रोड के जरिए भीमाशंकर जा रहे हैं तो पुणे से भीमाशंकर पहुंचने में आपको साढ़े तीन से चार घंटे का समय लगेगा।

4. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग नाशिक 

त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के 5 ज्योतिर्लिंग मै से दूसरा ज्योतिर्लिंग और भारत के 12 ज्योतिर्लिंग मै से तीसरा ज्योतिर्लिंग हैं। त्रयंबकेश्वर मंदिर नासिक जिले से 25 किमी की दूरी पर ब्रह्मगिरी पर्वत के पास स्थित है। आपको बता दे की ये पर्वत गोदावरी नदी के उद्गम स्थल के रूप में जाना जाता है, जिसे गौतमी गंगा भी कहा जाता है। इस ज्योतिर्लिंग का सबसे अनोखा हिस्सा इसका आकार और बनावट है।

त्रयंबकेश्वर में दर्शन का समय

त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में आप सुबह 5:30 बजे से रात 9 बजे तक दर्शन कर सकते हैं। 

कैसे पहुंचे त्रयंबकेश्वर शिव मंदिर

ट्रेन से त्रयबंकेश्वर पहुचंने के लिए पहले आपको नासिक स्टेशन तक जाना होगा। यहां से आप टैक्सी करके त्रयंबकेश्वर पहुंच सकते हैं। वहीं अगर आप फ्लाइट से त्रयंबकेश्वर जा रहे हैं तो पहले आपको मुंबई ऐयरपोर्ट तक जाना होगा, वहा से त्रयंबकेश्वर की दूरी 200 किमी है।

त्रयंबकेश्वर मंदिर नासिक जाने का सही समय

त्रयंबकेश्वर की यात्रा करने का सही समय अक्टूबर से मार्च का महीने है, क्योंकि इस दौरान यहां का मौसम बहुत अच्छा होता है। 

5. घृष्णेश्वर मन्दिर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र

घृष्णेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो अपने प्रभावशाली लाल चट्टानों के साथ 5 मंजिला शिखर शैली की संरचना, देवी देवताओं की नक्काशी और मुख्य दरबार हॉल में विशाल नंदी बैल के कारण बहुत प्रचलित है। यह ज्योतिर्लिंग औरंगाबाद के अजंता और एलोरा की गुफाओं के पास वेरूल गांव में स्थित है। अहिल्याबाई होल्कर द्वारा निर्मित इस मंदिर को ग्रुमेश्वर और कुसुमेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन का समय

घृष्णेश्वर मंदिर में ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए सुबह 5:30 बजे से रात 9 बजे के बीच जा सकते है। सावन के महीने में यहां दर्शन सुबह 3 बजे से शुरू होकर सुबह 11 बजे तक होते हैं।

कैसे पहुंचे घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर

अगर आप फ्लाइट से जा रहे है तो आपको औरंगाबाद एयरपोर्ट सबसे नजदीक पड़ेगा। यहां से घृष्णेश्वर की दूरी 29 किमी है। जबकि आप औरंगाबाद से घृष्णेश्वर के लिए बस या टैक्सी की भी स़ुविधा भी ले सकते हैं। अगर आप ट्रेन से सफर करते हैं तो आपको औरंगाबाद रेलवे स्टेशन पहुंचना होगा हा से घृष्णेश्वर की दूरी भी मात्र 29 किमी है।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र जाने का सही समय 

घृष्णेश्वर जाने के लिए जनवरी, फरवरी, मार्च और अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर एकदम सही होता है।

6. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग देश के सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले ज्योतिर्लिंग में से एक है। पौराणिक कथाओं और 12 ज्योतिर्लिंग कहानी की माने तो यहां रावण ने वर्षों तक शिव की अराधना की थी और शिव को लंका में आमंत्रित कया था। आपको बता दे की यहा ज्यादा यात्रा सावन के महीने होती हैं, लोगों का मानना है कि यहां भगवान शिव की आराधना करने से सभी दुखों से मुक्ति मिलती है।

वैद्यनाथ मंदिर में दर्शन का समय

वैद्यनाथ मंदिर सुबह 4 बजे से दोपहर साढ़े तीन बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है। वहीं शाम को 6 से रात 9 बजे तक यहां ज्योतिर्लिंग के दर्शन किए जा सकते हैं।

कैसे पहुंचे वैद्यनाथ

देवघर से नजदीकी रेलवे स्टेशन वैद्यनाथ धाम है, जो शहर से 7 किमी दूर है। यह स्टेशन देश के प्रमुख शहरों से भी जुड़ा हुआ है। अगर आप फ्लाइट से जा रहे हैं तो आपको पहले पटना एयरपोर्ट पर उतरना होगा, यहां से वैद्यनाथ धाम की दूरी 252 किमी है। मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको करीब 5 घंटे लगेंगे जिसके लिए आप कार या टैक्सी कर सकते हैं।

कब जाएं वैद्यनाथ

अक्टूबर से लेकर फरवरी तक का समय देवघर की यात्रा करने के लिए सही है।

7. केदारनाथ मंदिर केदारनाथ, उत्तराखण्ड

भारत के उत्तरांचल राज्य में रूद्र हिमालयन रेंज में स्थित केदारनाथ भी 12 ज्योतिर्लिंग मै से एक है और यह हिंदू धर्म के चार धामों में से एक माना जाता है। आपको बता दे केदारानाथ जाने वाले लोग पहले पवित्र जल लेने के लिए गंगोत्री और यमुनोत्रि जाते हैं, जिसे वे केदारनाथ शिवलिंग को चढ़ाते है। बेहद ठंडे मौसम और बर्फबारी के कारण यह मंदिर साल में केवल 6 महीने मई से जून तक खुलता है। हरिद्वार से केदारनाथ की दूरी 150 किमी है।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शन का समय

आप सबुह 4 से दोपहर 12 बजे तक केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर सकते हैं। वहीं दोपहर में 3 बजे से रात 9 बजे तक दर्शन के लिए जाया जा सकता है।

केदारनाथ कैसे पहुंचे 

केदारानाथ आप ट्रेन से जा सकते हैं। ऋषिकेश केदारनाथ के सबसे पास रेलवे स्टेशन है जिसके बीच की दूरी 216 किमी है। 2013 में आई बाढ़ के खतरनाक हादसे के बाद सरकार ने रामबाढ़ा के बाद एक नया ट्रेकिंग रूट तैयार कर दिया है। नए ट्रेक से आप जाएंगे तो गौरीकुंड से केदारनाथ की दूरी 16 किमी है। 

केदारनाथ यात्रा का सही समय 

मई से जून और सितंबर से अक्टूबर के बीच केदारनाथ जाने के लिए सबसे अच्छा समय है। 

8. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश

उत्तरप्रदेश के वाराणासी में स्वर्ण मंदिर के रूप में प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ भारत में 12 ज्योतिर्लिगों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। लोगो का मानना यह है कि भगवान शिव ने यहां निवास कर सभी को खुशी और मुक्ति प्रदान की थी।

काशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन समय

विश्वनाथ मंदिर के पट सुबह 2:30 बजे से रात 11 बजे तक खुले रहते हैं। सबसे पहले सुबह 3 बजे से 4 बजे तक मंगल आरती होती है। इसके बाद सुबह 4 बजे से 11 बजे तक ज्योतिर्लिंग के सर्वदर्शन शुरू हो जाते हैं। 

कैसे पहुंचे विश्वनाथ

वैसे तो वाराणासी में कई रेलवे स्टेशन है, लेकिन वाराणासी सिटी स्टेशन मंदिर से केवल 2 किमी की दूरी पर स्थित है। वाराणसी जंक्शन 6 किमी दूर है, रेलवे स्टेशन से आप विश्वनाथ मंदिर तक जाने के लिए ऑटो रिक्शा ले सकते हैं। अगर आप फ्लाइट से जाना चाहते हैं तो बाबतपुरा में लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट नजदीक है। यहां से काशी विश्वनाथ मंदिर की दूरी 20-25 किमी है।

कब जाएं विश्वनाथ मंदिर

विश्वनाथ जाने के लिए सर्दियों का समय सबसे अच्छा माना जाता है।

9. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, एम पी

मध्यप्रदेश में इंदौर के पास स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। यह ज्योर्तिलिंग असल में ओम के आकार का है, यही वजह है कि इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।

ओंकारेश्वर में दर्शन का समय

ओंकारेश्वर में दर्शन करने का समय सुबह 5 बजे से रात के 10 बजे तक होता है। सुबह के दर्शन आप सुबह 5:30 बजे से दोपहर 12:20 तक और शाम के दर्शन 4 से रात 8:30 बजे तक कर सकते हैं।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे

ओंकारेश्वर जाने के लिए पहले आपको इंदौर जाना होगा। इंदौर से ओंकारेश्वर की दूरी मात्र 80 किमी है। आपको बता दे की ओंकारेश्वर के लिए इंदौर से भी बसें मिल जाती हैं। वहीं अगर आप ट्रेन से ओंकारेश्वर जा रहे हैं तो ओंकारेश्वर रोड स्टेशन पर उतरना होगा, यहां से मंदिर की दूरी 13 किमी है।

ओंकारेश्वर मंदिर जाने का सही समय

यहां सर्दी और गर्मी दोनों ही बहुत ज्यादा पड़ती है, इसलिए ओंकारेश्वर जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च का है।

10. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन मध्य प्रदेश

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग मध्य भारत के लोकप्रिय बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है। ऐसा माना जाता है की इस मंदिर का निर्माण पांच साल के लड़के श्रीकर ने कराया था। आपको बता दे श्रीकर उज्जैन के राजा चंद्रसेन की भक्ति से काफी प्रेरित था।

महाकालेश्वर उज्जैन दर्शन का समय 

महाकालेश्वर मंदिर सुबह 4 बजे से रात के 11 बजे तक खुला रहता है। पर्यटक सुबह 8 बजे से 10 बजे तक , फिर 10:30 से शाम 5, शाम 6 से 7 और फिर रात 8 से 11 बजे तक  महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर सकते हैं। 

कैसे पहुंचे महाकालेश्वर

उज्जैन महाकालेश्वर पहुंचने के लिए भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों से ट्रेनें मिल जाती हैं। जबकि अगर आप फ्लाइट से महाकालेश्वर जाना चाहते हैं तो आपको पहले इंदौर के देवी अहिल्याबाई एयरपोर्ट पर विजिट करना होगा। यहां से उज्जैन 60 किमी दूर है।

कब जाएं महाकालेश्वर

फरवरी से मार्च का महीना महाकालेश्वर आने के लिए अच्छा माना जाता है।

11. रामेश्वरम, तमिलनाडु

यह ज्येातिर्लिंग तमिलनाडु के रामेश्वरम द्वीप पर स्थित है। माना जाता है कि भगवान राम ने रावण के वध के बाद इस ज्योतिर्लिंग की पूजा की थी। यह मंदिर समुद्र से घिरा हुआ है। यहा पर जाने वाले भक्त धनुषकोडि समुद्र तट पर भी जाते हैं, जहां से भगवान राम ने अपनी पत्नी को बचाने के लिए रामसेतु का निर्माण किया था। आपको बता दे यह ज्योतिर्लिंग भी भारत के चार धामों में से एक है।

रामेश्वरम में दर्शन का समय

मंदिर में दर्शन करने का समय सुबह 5 बजे से दोपहर 1 बजे तक होता है। और शाम 4 से रात के 8 बजे तक दर्शन कर सकते हैं।

रामेश्वरम मंदिर कैसे पहुंचें 

रामेश्वरम में कोई एयरपोर्ट नहीं है, इसलिए आपको मदुरैई एयरपोर्ट तक जाना होगा। यहां से रामेश्वरम की दूरी 149 किमी है। लेकिन आप ट्रेन से जा रहे हैं तो किसी भी प्रमुख रेलवे स्टेशन से आपको सीधे रामेश्वरम स्टेशन के लिए ट्रेन मिल जाएगी।

कब जाएं रामेश्वरम 

अक्टूबर से अप्रैल तक का समय रामेश्वरम जाने के लिए अच्छा माना जाता है। इस समय यहां का मौसम बेहद अच्छा रहता है। 

12. मल्लिकार्जुन, आंध्रप्रदेश

आंध्रप्रदेश में स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को साउथ का कैलाश भी कहा जाता है। यह ज्योतिर्लिंग कृष्णा नदी के तट पर श्री शैल पर्वत पर स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंग की गिनती मै तो आता ही है और आपको बता दे ये सती के 52 भक्ति पीठों में से भी एक है। 

मल्लिकार्जुन में दर्शन का समय

मल्लिकार्जुन मंदिर रोजाना सुबह 4:30 बजे से रात के 10 बजे तक खुला रहता है। यहा आप सुबह 6:30 बजे से दोपहर 1 बजे तक दर्शन कर सकते है। वहीं शाम को 6:30 बजे से 9 बजे तक यहां ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग जाने का रास्ते

यहा के लिए कोई सीधी ट्रेन नहीं है इसलिए यहां पहुंचने के लिए पहले आपको मर्कापुर रेलवे स्टेशन जाना होगा। बस द्वारा भी श्री शैल पर्वत की यात्रा अच्छे से की जा सकती है। दोरनाला, कुरिचेदु श्रीशैलम के लिए बस से यात्रा करने के लिए कुछ निकट शहर हैं। अगर आप फ्लाइट से जा रहे हैं तो सबसे निकट एयरपोर्ट बेगमपेट है। 

कब जाएं मल्लिकार्जुन

श्रीसेलम में अभ्यारण, बांध व्यू पॉइंट देखने के हिसाब से अक्टूबर से फरवरी तक का समय बेस्ट होता है।